बाड़मेर की राजनीति इन दिनों फिर से उफान पर है। पूर्व विधायक मेवाराम जैन की कांग्रेस में वापसी को लेकर पार्टी के भीतर जबरदस्त खींचतान मची हुई है। एक तरफ जहां उनके समर्थक स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर ही कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है।
मेवाराम जैन के आज बाड़मेर पहुंचने का कार्यक्रम है, लेकिन उससे पहले ही बालोतरा से लेकर बाड़मेर तक सड़कों पर लगे विरोधी बैनर और होर्डिंग्स ने माहौल को गर्मा दिया है। बैनरों पर लिखा गया है — “महिलाओं का अपमान नहीं सहेगी बाड़मेर कांग्रेस” और “बाड़मेर हुआ शर्मसार, बलात्कारी हमें स्वीकार नहीं”। इन नारों और तस्वीरों ने पार्टी नेतृत्व के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस के भीतर खेमेबाजी तेज
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के एक धड़े ने जैन की वापसी पर खुलकर विरोध जताया है। विरोध करने वाले नेता दिल्ली पहुंचकर पार्टी आलाकमान से मिले और अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। इस विरोधी खेमें में पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, पूर्व विधायक पदमाराम मेघवाल, जिलाध्यक्ष गफूर अहमद, पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान, जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी, प्रदेश सचिव लक्ष्मण गोदारा और आजाद सिंह राठौड़ जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं।
दूसरी ओर, मेवाराम जैन के समर्थकों में उत्साह चरम पर है। बाड़मेर शहर के अहिंसा सर्किल पर पटाखे जलाए गए, मिठाइयां बांटी गईं और ढोल-नगाड़ों के साथ उनके स्वागत की तैयारी की गई।
क्यों हुआ था निलंबन?
मेवाराम जैन को पार्टी ने सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो वायरल होने और अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते निलंबित कर दिया था। इसके बावजूद अब उनकी वापसी ने कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है।
और भी नेताओं की हुई थी वापसी
- बालेंदु सिंह शेखावत पर लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगे थे।
- संदीप शर्मा पर महिला से अनैतिक संबंधों का आरोप था।
- अरविंद डामोर को नामांकन प्रक्रिया और पार्टी निर्देशों की अवहेलना के चलते निष्कासित किया गया था।
- तेजपाल मिर्धा पर गठबंधन और रणनीति को लेकर अनुशासनहीनता के आरोप थे।
- बलराम यादव पर भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कार्रवाई हुई थी।
क्या कहती है पार्टी रणनीति?
कई सियासी विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस आलाकमान चुनावी समीकरणों को साधने के लिए पुराने चेहरों को वापस ला रही है। लेकिन मेवाराम जैन जैसे विवादित नेताओं की वापसी से महिला मतदाताओं और युवा कार्यकर्ताओं के बीच नकारात्मक संदेश जा सकता है। बहरहाल, मेवाराम जैन की वापसी से बाड़मेर की कांग्रेस इकाई में गुटबाजी और असंतोष खुलकर सामने आ गया है, जो आने वाले दिनों में पार्टी के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है।
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