हाल ही में हुए SSC परीक्षा के विरोध प्रदर्शनों के बाद एक परीक्षा संचालित करने वाली एजेंसी सवालों के घेरे में हैं. अब एसएससी परीक्षा के अभ्यर्थियों का विरोध मुख्य रूप से SSC Phase 13 परीक्षा में हुई तकनीकी गड़बड़ियों, सर्वर डाउन होने, परीक्षा रद्द होने, परीक्षा केंद्रों के गलत आवंटन, खराब प्रबंधन और परीक्षा कराने वाली नई कंपनी Eduquity की अक्षमता के कारण सामने आया. एडुक्विटी का नाम कई बार पेपर लीक और धोखाधड़ी के मामलों से जुड़ा है और यह पहली एजेंसी भी नहीं है, जिसके खिलाफ लामबंदी हुई हो या जिस पर आरोप लगे हो.
पिछले 5 वर्षों में देशभर में पेपर लीक से जुड़े कम-से-कम 48 बड़े मामले सामने आए हैं, जिनमें 1.4 करोड़ से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित हुए. इन मामलों में मुख्य भूमिका जिन कंपनियों की रही, उनमें एडुक्विटी (Eduquity), एप्टेक (Aptech), सातवत इन्फोसोल (Satvat Infosol), एडुटेस्ट (Edutest) और एनएसईआईटी (NSEIT) जैसी एजेंसियां शामिल हैं. इनका सार्वजनिक चेहरा “परीक्षा संचालन में विशेषज्ञता, कॉर्पोरेट अनुभव, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर” के रूप में पेश होता है. लेकिन, इनका दूसरा चेहरा बार-बार घोटाले, पेपर लीक, कोर्ट में केस, और ब्लैकलिस्टिंग से सना मिलता है. इन कंपनियों का इतिहास भी विवादों से भरा रहा.
इन कंपनियों का कई राज्यों में जुड़ा विवाद
- एडुक्विटी बताती है कि उसने 10 करोड़ अभ्यर्थियों का मूल्यांकन किया, 25 साल की विरासत है, सरकारी-शैक्षणिक-प्राइवेट हर क्षेत्र में ग्राहक हैं. लेकिन 2020 में केंद्र के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग ने इसे ब्लैकलिस्ट किया. इसके बावजूद, एडुक्विटी को SSC, व्यापमं (मप्र), NTA, महाराष्ट्र CET, राजस्थान समेत कई राज्यों में रोक के बावजूद भी ठेके मिलते रहे.
- MP-TET पेपर लीक (2022): परीक्षा कॉन्ट्रैक्ट के बाद एडुक्विटी ने राजस्थान की साईं एजुकेयर को ठेका दे दिया. प्रश्न-पत्र सोशल मीडिया पर वायरल; राज्य में भारी विरोध, इसे ‘व्यापमं-3’ कहा गया.
- पटवारी परीक्षा (MP 2023): फिर एडुक्विटी के पास कॉन्ट्रैक्ट गया. इस बार भी ग्वालियर के एक कॉलेज से टॉपरों का क्लस्टर, बड़ी हेराफेरी, मुख्यमंत्री को भर्ती रोकनी पड़ी.
- महाराष्ट्र MBA CET (2024): एडुक्विटी, उसी इतिहास के साथ, एमबीए परीक्षा में लीक की शिकायतों पर बॉम्बे हाईकोर्ट में पीआईएल भी दायर हुईं.
- इसके अलावा ptech, Satvat Infosol, Edutest और NSEIT, ये सभी कंपनियां यूपी, राजस्थान, हरियाणा में ब्लैकलिस्ट हुई. फिर भी 2023 में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की तीनों परीक्षाएं इन्हीं के जिम्मे; सारे पेपर लीक. रेलवे भर्ती, जल निगम भर्ती, पुलिस भर्ती—हर जगह इनका नाम विवादों में रहा.
- सातवत इन्फोसोल के खिलाफ तो CBI ने FIR दर्ज की, रक्षा मंत्रालय की परीक्षा में धोखाधड़ी का आरोप; रेलवे, ONGC तक ने ब्लैकलिस्ट कर दिया, लेकिन दूसरी परीक्षाओं में ठेके जारी रहे.
खराब रिकॉर्ड की फेहरिस्त लंबी, फिर भी ठेके क्यों?
जब इस सवाल को पूछा जाता है तो सरकारी सिस्टम के पास शायद यही तर्क होता है कि टेक्निकल स्कोर अच्छा है, या अनुभव है. लेकिन हकीकत यह है कि iइन कंपनियों को आउटसोर्सिंग या सब-कॉन्ट्रैक्ट की आड़ में, कमजोर मॉनिटरिंग, और राजनीतिक संरक्षण का गठजोड़ का फायदा मिलता रहा है. कई बार परीक्षा एजेंसी ने जो परीक्षा आयोजन का ठेका लिया, उसे कमीशन पर दूसरी क्षेत्रीय कंपनी को बेच दिया. उदाहरण के लिए, व्यापमं घोटाले के दौरान विवादों में रही जिस कंपनी को एग्जाम का कांट्रैक्ट मिला है, उसे तो केंद्र सरकार ने इस काम के योग्य भी नहीं माना है.
बेंगलुरू की इस कंपनी को PEB ने ऑनलाइन परीक्षा कराने का काम सशर्त सौंपा. पीईबी ने एजेंसी को परीक्षा के लिए एग्जाम सेंटर से बुकिंग लेकर परीक्षा कराने तक का काम खुद ही करने की शर्त रखी थी, लेकिन एडुक्विटी ने वर्क ऑर्डर की शर्तों को दरकिनार कर काम राजस्थान के जयपुर से संचालित साईं एजुकेयर को दे दिया. मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (डीजीटी) ने एडुक्विटी कॅरियर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरू को ऑनलाइन एग्जाम के लिए अपात्र घोषित किया है.