राजस्थान की राजनीति में चार दशक से अधिक समय तक सक्रिय रहे और जनजातीय समाज की सशक्त आवाज बने पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा का अहमदाबाद के एक अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। वे कुल सात बार विधायक और एक बार सांसद रहे।
नंदलाल मीणा का जन्म 25 जनवरी 1946 को प्रतापगढ़ जिले के अंबामाता का खेड़ा गांव में हुआ था। 20 जून 1968 को उनका विवाह सुमित्रा देवी से हुआ। उनका परिवार भी राजनीति से गहराई से जुड़ा रहा है—पत्नी सुमित्रा देवी चित्तौड़गढ़ की जिला प्रमुख रह चुकी हैं, पुत्र हेमंत मीणा वर्तमान में राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री हैं, जबकि उनकी पुत्रवधु प्रतापगढ़ जिला प्रमुख रह चुकी हैं।
नंदलाल मीणा का लंबा राजनीतिक सफर
नंदलाल मीणा का राजनीतिक सफर बेहद लंबा और बहुआयामी रहा। उन्होंने सात बार विधायक और एक बार सांसद के रूप में जनता का प्रतिनिधित्व किया।
वे पहली बार 1977 में विधायक बने। इसके बाद वे 1977 से 1980 तक छठी विधानसभा, 1980 से 1985 तक सातवीं विधानसभा, 1993 से 1998 तक दसवीं विधानसभा, 1998 से 2003 तक ग्यारहवीं विधानसभा, 2003 से 2008 तक बारहवीं विधानसभा, 2008 से 2013 तक तेरहवीं विधानसभा और 2013 से 2018 तक चौदहवीं विधानसभा के सदस्य रहे।
नंदलाल मीणा का लंबा राजनीतिक सफर और अहम जिम्मेदारियां
नंदलाल मीणा का राजनीतिक जीवन बेहद लंबा और बहुआयामी रहा। उन्होंने सात बार विधायक और एक बार सांसद के रूप में जनता का प्रतिनिधित्व किया। वे पहली बार 1977 में विधायक बने। इसके बाद वे 1977 से 1980 तक छठी विधानसभा, 1980 से 1985 तक सातवीं विधानसभा, 1993 से 1998 तक दसवीं विधानसभा, 1998 से 2003 तक ग्यारहवीं विधानसभा, 2003 से 2008 तक बारहवीं विधानसभा, 2008 से 2013 तक तेरहवीं विधानसभा और 2013 से 2018 तक चौदहवीं विधानसभा के सदस्य रहे। साथ ही 1989 से 1991 तक वे सलुम्बर से नौवीं लोकसभा के सांसद भी बने। राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां भी निभाईं। 1978 से 1980 के बीच वे राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में जनजाति क्षेत्रीय विकास, भेड़ एवं ऊन, उद्योग और राजकीय उपक्रम विभाग के प्रभारी रहे। 1993 से 1998 के दौरान उन्होंने नियोजन विभाग, स्टेट मोटर गैराज, जनजाति क्षेत्रीय विकास और श्रम विभाग को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में संभाला। इसके बाद 2007-08 में मंत्री पद पर रहते हुए जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग का कार्यभार संभाला और 2013 से 2018 तक पुनः मंत्री बनकर इसी विभाग का नेतृत्व किया।
नंदलाल मीणा का संगठनात्मक और संसदीय योगदान
उन्होंने विधानसभा की कई समितियों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति, विशेषाधिकार समिति और संसदीय परामर्शदात्री समिति में वे सदस्य रहे। साथ ही 2004 से 2007 तक अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति के सभापति भी रहे। भाजपा संगठन में भी उन्होंने कई जिम्मेदारियां निभाईं। वे भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य, जनजाति मोर्चा के सदस्य और प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। इसके अलावा जनता पार्टी के दौर में भी वे सक्रिय रहे और 1977 से 1980 तक जनता युवा मोर्चा राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर रहे।
नंदलाल मीणा का चुनावी सफर
नंदलाल मीणा के चुनावी करियर में जनता ने हमेशा उन पर भरोसा जताया। 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रतापगढ़ (अ.ज.जा.) से भाजपा प्रत्याशी के रूप में 82,452 मत प्राप्त किए और 31,938 मतों से जीत दर्ज की। 2008 में भी उन्होंने इसी सीट से 65,103 मतों से जीत हासिल की। 2003, 1998, 1993 और 1980 के चुनावों में भी वे विजयी रहे। 1977 में उन्होंने उदयपुर ग्रामीण (अ.ज.जा.) से जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1989 में वे सलुम्बर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने और 2,03,888 मत प्राप्त किए।
नंदलाल मीणा का सामाजिक और खेलों से जुड़ाव
राजनीति के साथ-साथ उनका झुकाव सामाजिक कार्यों और खेलों की ओर भी रहा। वे बैडमिंटन और वॉलीबॉल के खिलाड़ी रहे। 1996 में वे जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता बने। वर्ष 2005-06 में उन्हें इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसायटी, नई दिल्ली की ओर से विकास रत्न सम्मान से नवाजा गया। गरीब और पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए वे हमेशा सक्रिय रहे और आदिवासी संघ के महामंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे।
नंदलाल मीणा: जनजातीय समाज के सशक्त प्रवक्ता
नंदलाल मीणा का जीवन समाज और राजनीति को समर्पित रहा। उन्होंने जनजातीय समाज की आवाज को राजनीति की मुख्यधारा तक पहुंचाया और अपने क्षेत्र में विकास के लिए सतत प्रयास किया। उनके निधन से राजस्थान ने एक कर्मठ जननेता और जनजातीय समाज ने अपना सशक्त प्रवक्ता खो दिया है। यह शून्य लंबे समय तक भरना कठिन होगा।
यह भी पढ़ें: राजस्थान: पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील चौधरी गिरफ्तार, प्लॉट विवाद में कार्रवाई