जयपुर। कुमार विश्वास की पत्नी और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की पूर्व सदस्य मंजू शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट में उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों की रिव्यू करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ कठोर और अनुचित टिप्पणियां की गई हैं, जबकि उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाया नहीं गया और सुनवाई का कोई मौका भी नहीं दिया गया।
याचिका में बताया गया है कि चार्जशीट में केवल संपर्क की बात कही गई है, लेकिन इसे आधार बनाकर किसी सार्वजनिक अधिकारी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। मंजू शर्मा ने यह भी कहा है कि कोर्ट की टिप्पणियां बिना किसी ठोस सबूत के की गई हैं, जैसे ऑडियो रिकॉर्डिंग, गवाह या ऑडिट ट्रेल। इस तरह की बिना सुनवाई की टिप्पणाएं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन हैं। याचिका में कहा गया है कि इन टिप्पणियों के कारण मंजू शर्मा की सामाजिक और पेशेवर छवि को नुकसान पहुंचा है, जिससे उन्हें मानसिक तनाव भी सहना पड़ा और अंततः इस्तीफा देना पड़ा।
राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद
राजस्थान हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 28 अगस्त को राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने का फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आरपीएससी के 6 सदस्यों को मामले में संलिप्त बताया था और परीक्षा में गड़बड़ियों के विषय में स्वप्रेरित संज्ञान लेकर आगे सुनवाई करने का आदेश भी दिया था।
इस फैसले के बाद, मंजू शर्मा ने 1 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी यह खबर राज्यभर में चर्चा का विषय बनी। बाद में 15 सितंबर को राजस्थान के राज्यपाल ने मंजू शर्मा का इस्तीफा औपचारिक रूप से मंजूर कर लिया। मंजू शर्मा की इस कार्रवाई को आरपीएससी में चल रहे विवादों और कोर्ट के फैसले का सीधा असर माना जा रहा है। वहीं, मंजू शर्मा ने कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ अपनी याचिका दायर कर न्याय की मांग की है।