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Thursday, October 30, 2025

RPSC भर्ती परीक्षा में अब बरकरार रहेगा न्यूनतम अंक का नियम?

OP-EDRPSC भर्ती परीक्षा में अब बरकरार रहेगा न्यूनतम अंक का नियम?

RPSC Update: RPSC की राजनीति विज्ञान व्याख्याता भर्ती में न्यूनतम अंकों के चलते पद खाली रह गए थे. पिछले महीने परिणाम घोषित होने के बाद अब इस पर विवाद भी हुआ और पेपर के लेवल पर सवाल उठे. लेकिन न्यूनतम अंकों वाला यह फॉर्मूला अब आगे भी देखने  को मिलेगा. राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) परीक्षा-2025 की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है. परीक्षा के लिए 20 सितंबर से फॉर्म शुरू हो भी हो गए हैं और अंतिम तारीख 19 अक्टूबर है. नियम के मुताबिक, सभी तीनों पेपर में 36 प्रतिशत नंबर अलग-अलग लाने होंगे. साथ ही कुल मिलाकर न्यूनतम 40 प्रतिशत नंबर होने चाहिए. यह नियम जनरल कैटेगरी के लिए लागू रहेगा. आरक्षण वालों को पांच प्रतिशत की छूट दी गई है.

पहले नियम जान लें

आयोग लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में प्राप्त कुल अंकों के आधार पर उम्मीदवारों की एक लिस्ट तैयार करेगा, जिन्हें वे संबंधित पदों पर नियुक्ति किया जाएगा. आयोग ऐसे किसी भी उम्मीदवार की का चयन नहीं करेगा, जो प्रत्येक पेपर में 36% से कम नंबर और लिखित परीक्षा में कुल 40% से कम नंबर प्राप्त करेगा. इससे कम नंबर लाने वाले उम्मीदवार असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए अयोग्य माने जाएंगे. परीक्षा में 200 अंकों में से 80 अंक (इंटरव्यू के नंबर छोड़कर) प्राप्त नहीं करने वाले अभ्यर्थी न केवल चयन से वंचित रह जाएंगे, बल्कि इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया जाएगा.

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पिछले साल के आवेदन निरस्त, फिर से मांगे गए

नए नियमों के तहत अब 20 सितंबर से 19 अक्टूबर तक अभ्यर्थी इस भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं. कैंडिडेट्स की उम्र एक जुलाई 2025 को न्यूनतम 21 साल और अधिकतम 40 साल से कम होनी चाहिए. पिछली बार करीब पौने दो लाख कैंडिडेट्स ने आवेदन किए थे. लेकिन उस नोटिफिकेशन को निरस्त कर।फिर से आवेदन मांगे गए हैं.

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‘मिनिमम मार्क्स फार्मूले’ के चलते पद खाली रहने पर उठे सवाल

दरअसल, ऐसी परीक्षाओं में NET और NET-JRF क्लियर करने वाले अभ्यर्थियों के अलावा देश में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पढ़ रहे स्कॉलर भी आवेदन करते हैं. बावजूद इसके, पेपर में 10 फीसदी अभ्यर्थियों का भी पास ना कर पाना सवाल खड़ा करता है. बार- बार इस बात को कहा जाता है कि पेपर के लेवल को इतना कठिन भी नहीं बनाना चाहिए कि उस निर्धारित समय मेंमेहनती और तैयार अभ्यर्थी भी चयनित न हो पाए. परीक्षा को मॉडरेट स्तर पर रखा जाए, ताकि वास्तविक ज्ञान और तैयारी का सही आकलन हो सके.

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  • – कई विशेषज्ञों का तर्क है कि सामाजिक और आर्थिक विविधता पर असर: कई बार ग्रामीण या सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार न्यूनतम सीमा नहीं प्राप्त कर पाते, जिससे उनका प्रतिनिधित्व घट सकता है.
  • – कई बार कटऑफ बहुत अधिक या बहुत कम रख दी जाती है, जिससे योग्य उम्मीदवार बाहर रह सकते हैं.
  • – जब उम्मीदवार मिनिमम मार्क्स नहीं ला पाते तो पद खाली रह जाते हैं, जिससे नौकरी या एडमिशन प्रक्रिया प्रभावित होती है. आयोग के संसाधन, समय और परीक्षा पर होने वाले खर्च के बावजूद जब सरकारी पद नहीं भर जाएंगे तो RPSC को यह भी सोचना होगा कि फिर योग्य उम्मीदवार की परिभाषा क्या है?

यह भी पढ़ें: “घटिया सिस्टम में परीक्षार्थी फंसे, ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को मिल रहा परीक्षा कराने का ठेका

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