Air Force Day: देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सपूत जब सम्मानित होते हैं, तो वह पल केवल गर्व का नहीं, बल्कि आंखों को नम कर देने वाला भी होता है। 8 अक्टूबर को 93वें वायु सेना दिवस के मौके पर हिंडन एयरबेस पर ऐसा ही एक गौरवशाली और भावुक क्षण देखने को मिला। राजस्थान के झुंझुनूं जिले के वीर सपूत शहीद सार्जेंट सुरेंद्र मोगा को मरणोपरांत भारतीय वायु सेना मेडल (वीरता) से सम्मानित किया गया।
एयर चीफ मार्शल ने सौंपा सम्मान
इस भव्य समारोह में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने यह वीरता सम्मान शहीद की पत्नी वीरांगना सीमा मोगा को सौंपा। जैसे ही यह सम्मान सीमा मोगा को सौंपा गया, वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें श्रद्धा और गर्व के आंसुओं से छलक पड़ीं। यह सिर्फ एक मेडल नहीं था, बल्कि एक वीर सपूत के त्याग, साहस और कर्तव्यपरायणता की अमिट पहचान थी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए मिला सम्मान
शहीद सुरेंद्र मोगा को यह सम्मान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान दिखाई गई अद्भुत वीरता और समर्पण के लिए प्रदान किया गया। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। वह राजस्थान के झुंझुनूं जिले के मंडावा उपखंड के मेहरादासी गांव के निवासी थे – एक ऐसा गांव, जो अब देश की वीरगाथाओं में दर्ज हो गया है।
देशभक्ति इस परिवार की रग-रग में
शहीद सुरेंद्र मोगा का परिवार भी देश सेवा की मिसाल है। उनके पिता शिशुपाल मोगा CRPF से सेवानिवृत्त हैं, उनके चाचा प्यारेलाल मोगा भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं, और उनकी पत्नी सीमा मोगा के पिता रामनिवास मील भी वायु सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। यह परिवार तीन पीढ़ियों से मातृभूमि की सेवा कर रहा है।
सीमा मोगा की हिम्मत बनी सबके लिए प्रेरणा
हिंडन एयरबेस पर जब सीमा मोगा ने अपने पति का मेडल गरिमा और मजबूती के साथ ग्रहण किया, तो उनकी आंखों में आंसू भी थे और सिर गर्व से ऊंचा भी। उनकी मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि एक सैनिक की वीरता केवल रणभूमि तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसका परिवार भी उसी वीरता की जीती-जागती मिसाल होता है।
देश करेगा हमेशा याद
शहीद सार्जेंट सुरेंद्र मोगा की यह कहानी केवल झुंझुनूं या राजस्थान की नहीं है, यह पूरे भारत के लिए गर्व की बात है। उनका नाम आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति, बलिदान और कर्तव्य का पाठ पढ़ाता रहेगा।