बारां।राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारकर सियासी तापमान बढ़ा दिया है। यह चुनाव न सिर्फ प्रमोद भाया के लिए राजनीतिक वापसी का अवसर है, बल्कि कांग्रेस के लिए भी वर्ष 2023 की हार का बदला लेने का सुनहरा मौका माना जा रहा है। दूसरी ओर, भाजपा इस सीट को हर हाल में बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।
नरेश मीणा को झटका, निर्दलीय लड़ सकते हैं चुनाव
कांग्रेस द्वारा प्रमोद जैन भाया को टिकट देने के फैसले से नरेश मीणा खासे नाराज़ बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, मीणा अब निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी कर सकते हैं, जिससे अंता सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना प्रबल हो गई है।
पीसीसी चीफ डोटासरा ने दी शुभकामनाएं
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाया को टिकट मिलने पर बधाई देते हुए कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि जनता प्रमोद भाया जी के नेतृत्व और जनसेवा के समर्पण को आशीर्वाद देगी। यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए नई ऊर्जा का प्रतीक बनेगा।”
कांग्रेस पार्टी द्वारा #अंता विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रमोद जैन भाया जी को कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
मुझे विश्वास है कि जनसेवा के प्रति आपके समर्पण एवं आमजन के मुद्दों को ताकत देने के लिए जनता आपको भरपूर आशीर्वाद देगी और कांग्रेस की विजयी… pic.twitter.com/eH4z47BJyy
— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra) October 8, 2025
विधायक कंवरलाल मीणा की सीट हुई खाली
अंता सीट भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के खिलाफ कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद खाली हुई है। कंवरलाल ने मनोहर थाना कोर्ट में सरेंडर कर दिया था और अब उन्होंने राज्यपाल के समक्ष दया याचिका लगाई है, जो फिलहाल लंबित है। चुनाव आयोग ने सीट रिक्त घोषित करते हुए उपचुनाव की घोषणा कर दी है।
कांग्रेस बनाम भाजपा – बड़ा सियासी मुकाबला
- कांग्रेस के लिए यह सीट 2023 में गंवाने के बाद साख बचाने का मौका है।
- भाजपा चाहती है कि वह इस सीट को बरकरार रखकर राजनीतिक बढ़त बनाए रखे।
- नरेश मीणा अगर निर्दलीय उतरते हैं, तो कांग्रेस और भाजपा – दोनों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
वोटर डेटा और चुनावी समीकरण
- 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिलाएं और 4 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। हाल ही में 1,336 नए मतदाता सूची में जुड़े हैं, जिनकी भूमिका परिणामों में अहम हो सकती है। यहां के चुनावी मुद्दे – बुनियादी ढांचा, रोजगार, सिंचाई, किसान समस्याएं और स्थानीय नेतृत्व – निर्णायक भूमिका निभाएंगे।