राजस्थान के जिले के सरहदी गांव करड़ा में एक परिवार ने आठ महीने तक एक हिरण के बच्चे को अपने परिवार का सदस्य मानकर पाला। अब उसे उसके असली घर, यानी जंगल में वापस छोड़ दिया गया। करड़ा गांव के निवासी महेंद्र सिंह सोढ़ा ने बताया कि उनके छोटे भाई कुंदन सिंह को लगभग आठ महीने पहले जंगल में एक हिरण का बच्चा दिखाई दिया। अगले दिन जब कुंदन उसी रास्ते से गए, तो उन्होंने देखा कि बिन मां का हिरण का बच्चा वहीं पड़ा हुआ था। इसके बाद कुंदन ने 15 दिन के मासूम हिरण को घर लेकर आकर पालना शुरू किया।
शेरू बन गया परिवार का सदस्य
हिरण का बच्चा कुंदन के घर का सदस्य कब बन गया, पता भी नहीं चला। हिरण के बच्चे का नाम शेरू रखा गया। शेरू नाम सुनते ही वह दौड़कर पास आता था। महेंद्र और कुंदन की माता ने शेरू को मां जैसा प्यार दिया और उसे गाय का दूध पिला-पिला कर बड़ा किया। धीरे-धीरे शेरू पूरी तरह परिवार के साथ घुल-मिल गया।

शेरू को जंगल में लौटाया गया
जब शेरू बड़ा हुआ, तो महेंद्र सिंह सोढ़ा ने सोचा कि अब उसे उसके प्राकृतिक वातावरण में लौटाना चाहिए, ताकि वह स्वच्छंद जीवन जी सके। परिवार से चर्चा के बाद शेरू को आकल वुड फॉसिल पार्क में छोड़ने का निर्णय लिया गया। महेंद्र सिंह ने बताया कि आकल फॉसिल पार्क इसलिए चुना गया क्योंकि वहां हिरणों के लिए प्राकृतिक वातावरण, पानी के स्रोत और चहारदीवारी के अंदर सुरक्षित क्षेत्र मौजूद है। गाय का दूध पीकर बड़ा हुआ शेरू सामान्य हिरणों की तुलना में अधिक पानी पीता था, इसलिए यह स्थान उसके लिए उपयुक्त माना गया।
शेरू की विदाई में भावुक परिवार
जब शेरू को वाहन में बैठाकर जंगल ले जाया जा रहा था, तो पूरा परिवार भावुक हो उठा। सभी की आंखों में विदाई के आंसू थे, लेकिन यह संतोष भी था कि अब शेरू स्वतंत्र होकर अपने असली घर में सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी सकेगा। आकल फॉसिल पार्क में शेरू अब स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहा है। यह कहानी न केवल संवेदनशीलता और मानवता का सुंदर उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मनुष्य और प्रकृति का रिश्ता करुणा और प्रेम पर आधारित होना चाहिए।
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