बारां। राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने अपने मजबूत दावेदार और हाड़ौती के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतार दिया है, जबकि बीजेपी अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर सकी है। इसी बीच इस चुनावी मुकाबले में एक बड़ा उलटफेर कर दिया है नरेश मीणा ने, जिन्होंने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
युवा बना रहे ‘मीणा’ को हीरो
नरेश मीणा की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ रहा है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है टोंक के समरावता में हुआ थप्पड़कांड। नवंबर 2024 में देवली-उनियारा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था, जिसके बाद बवाल मच गया, आगजनी हुई, और खुद मीणा को करीब 8 महीने जेल में रहना पड़ा। लेकिन इसी घटना ने उन्हें युवाओं के बीच एक फाइटर की छवि दे दी।
छात्रसंघ से लेकर जेल तक और अब अंता में चुनौती
-
जन्म: 1979, नया गांव, अटरू तहसील, बारां
-
शिक्षा: B.A., राजस्थान यूनिवर्सिटी
-
छात्र राजनीति की शुरुआत: 2003, NSUI से RUSU महासचिव
-
2023 में छबड़ा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, मिले 44,000 वोट, लेकिन हार
-
2024 देवली-उनियारा उपचुनाव: निर्दलीय लड़े, 60,000 वोट, कांग्रेस की जमानत जब्त
-
फिलहाल 23 मुकदमे दर्ज, कई लंबित
जेल से निकलते ही फिर सक्रिय
जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद भी मीणा की राजनीतिक सक्रियता कम नहीं हुई। सितंबर 2025 में झालावाड़ के स्कूली हादसे को लेकर भी उन्होंने आंदोलन किया और फिर से गिरफ्तारी हुई। लेकिन इन सभी घटनाओं ने उन्हें युवा वर्ग में और मजबूत किया है। अब जब अंता विधायक कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने केस में सजा मिलने के बाद सीट खाली हुई, तो अनुमान लगाया जा रहा था कि नरेश मीणा यहीं से चुनाव लड़ेंगे और हुआ भी वही। मीणा 14 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे, और इस दौरान उनकी रैली का नेतृत्व करेंगे पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा।
भाजपा और कांग्रेस दोनों की बढ़ी चिंता
नरेश मीणा की एंट्री ने अंता सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस के पास प्रमोद जैन भाया जैसा अनुभवी चेहरा है, बीजेपी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटी है, लेकिन मीणा दोनों दलों के लिए “फिक्स मैच” को फंसाने वाले खिलाड़ी साबित हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें: सरकारी सेवाओं से जुड़े इन कर्मचारियों की सैलेरी महज 6 हजार रुपए! आखिर राजस्थान में यह इतनी बड़ी समस्या क्यों?