Anta Bypoll Rajasthan: बारां। राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। जहां कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, वहीं बीजेपी अभी तक अपने उम्मीदवार को लेकर असमंजस में है। बताया जा रहा है कि बीजेपी के इस फैसले में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सहमति सबसे अहम है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने शुक्रवार को वसुंधरा राजे से मुलाकात कर उम्मीदवार चयन को लेकर चर्चा की।
वसुंधरा राजे की सहमति पर टिका है उम्मीदवार चयन
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का अंता क्षेत्र और आसपास के जिलों में व्यापक प्रभाव है। वह स्वयं इस क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह भी वर्तमान सांसद हैं। सियासी चर्चाओं के अनुसार, वसुंधरा राजे के बिना बीजेपी का उम्मीदवार घोषित करना मुश्किल होगा। राजे का मन माना जा रहा है कि पूर्व विधायक कंवर लाल मीणा के परिवार से भगवती देवी को टिकट मिले। इसके अलावा स्थानीय उम्मीदवार को मौका देने की भी वे हिमायत कर रही हैं।
माली समाज के वोट भी मायने रखेंगे
अंता विधानसभा क्षेत्र में करीब 2 लाख 27 हजार 563 मतदाता हैं, जिनमें माली समाज के लगभग 45 हजार वोट शामिल हैं। इस समुदाय के प्रभाव के कारण मोरपाल का नाम भी उम्मीदवारों की सूची में है, जो वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाते हैं।
प्रभु लाल सैनी का नाम चर्चा में, पर राजे नहीं हैं सहमत
पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी, जो वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते थे, अब उनके समीकरण बदल चुके हैं। हालांकि सैनी का अंता क्षेत्र में एक मजबूत वोट बैंक है, लेकिन वसुंधरा राजे इस बार उनके नाम पर राजी नहीं हैं।
कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार चुनौती में
बीजेपी के लिए चुनौती कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया की मजबूत पकड़ है। वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा भी चुनावी मैदान में हैं, जिनका मीणा समाज में खास प्रभाव है और पिछले चुनावों में उन्होंने अच्छा वोट हासिल किया था। अंता विधानसभा क्षेत्र की जातिगत और सामाजिक समीकरण इस चुनाव को बेहद रोमांचक बना रहे हैं।
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