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Thursday, October 30, 2025

‘अबकी बार पायलट सरकार’? गहलोत गढ़ में उठे सवाल, फिर आमने-सामने हुए दोनों गुट; जानें पूरा मामला

OP-ED'अबकी बार पायलट सरकार'? गहलोत गढ़ में उठे सवाल, फिर आमने-सामने हुए दोनों गुट; जानें पूरा मामला

Jodhpur Congress Organization Creation Campaign: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गहलोत-पायलट गुटबाजी की तपिश से गर्मा गई है। कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत जोधपुर में हुए शहर अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया ने पार्टी के भीतर अंतर्कलह को खुलकर सामने ला दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर में आयोजित बैठक में ‘एक लाइन के प्रस्ताव’ को लेकर शुरू हुआ विवाद इस कदर बढ़ा कि पायलट समर्थकों ने खुलकर विरोध किया और पारदर्शी चुनाव की मांग उठाई।

बैठक में ‘एक लाइन का प्रस्ताव’ बना विवाद की जड़

शनिवार को जोधपुर के आनंद भवन स्थित कांग्रेस कार्यालय में शहर अध्यक्ष पद को लेकर आयोजित बैठक में सूरसागर से हारे प्रत्याशी शहजाद खान ने एक लाइन का प्रस्ताव रखा, जिसमें बिना किसी बहस के चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कही गई। यह प्रस्ताव परंपरागत रूप से गहलोत गुट की रणनीति का हिस्सा माना जाता है।

लेकिन पायलट गुट के नेता राजेश सारस्वत और राजेश मेहता ने इसका तीखा विरोध किया। सारस्वत ने कहा, “क्या हम कार्यकर्ताओं की आवाज को यूं ही दबा देंगे? यह लोकतंत्र की हत्या है।” वहीं पूर्व पार्षद राजेश मेहता ने बैठक में खड़े होकर नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी, “अगर चुनाव पारदर्शी नहीं हुआ, तो हम सड़क पर उतरेंगे। गहलोत का गढ़ अब बदलाव की मांग कर रहा है।”

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कार्यकर्ताओं में असंतोष, पारदर्शिता की उठी मांग

बैठक में मौजूद 200 से अधिक कार्यकर्ताओं में से कई ने खुलकर पारदर्शी चुनाव की मांग की। एक युवा कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अगर पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं रहेगा, तो आने वाले चुनावों में यह भारी पड़ेगा।” कार्यकर्ताओं ने नामांकन प्रक्रिया खुली रखने और मतदान के ज़रिए शहर अध्यक्ष तय करने का सुझाव दिया।

सड़कों तक पहुंचा विवाद

बैठक के बाहर भी पायलट समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। “अबकी बार पायलट सरकार” और “पारदर्शिता चाहिए” जैसे नारे लगाते कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को सार्वजनिक कर दिया, जिससे गहलोत गुट की रणनीति पर सीधा हमला हुआ।

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फिर से उभरा गहलोत-पायलट टकराव

गहलोत और पायलट के बीच का टकराव नया नहीं है। 2022 में भी एक लाइन प्रस्ताव को लेकर ही राजस्थान में राजनीतिक संकट खड़ा हुआ था। हाल ही में दोनों नेताओं की मुलाकात ने सुलह की उम्मीद जगाई थी, लेकिन जोधपुर की इस घटना ने फिर से दरार को गहरा कर दिया है।

गहलोत के गढ़ में पायलट की दस्तक

जोधपुर को गहलोत का मजबूत किला माना जाता है। यहां उनके बेटे वैभव गहलोत सांसद हैं और संगठन पर गहलोत गुट की पकड़ मानी जाती है। लेकिन अब पायलट खेमे ने भी यहां अपनी उपस्थिति मजबूत करनी शुरू कर दी है। 2017 से ही “अबकी बार पायलट सरकार” जैसे पोस्टर इस चुनौती की झलक दे रहे हैं।

कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ी

इस गुटबाजी से परेशान कांग्रेस हाईकमान अब जोधपुर में तटस्थ पर्यवेक्षक भेजने पर विचार कर रहा है। राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने विवाद को शांत करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, “गुटबाजी की कोई जगह नहीं है, संगठन सृजन अभियान सभी को जोड़ने के लिए है।”

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