Rajasthan By Election 2025: अंता। राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के तौर पर प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतार दिया है और निर्दलीय नरेश मीणा ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है, वहीं भाजपा अब तक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं कर पाई है। इस बीच मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का एक बड़ा बयान सामने आया, जिसने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
सीएम और प्रदेशाध्यक्ष जो तय करेंगे, वही सर्वमान्य
जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए वसुंधरा राजे ने कहा कि “सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ जो भी उम्मीदवार तय करेंगे, वह हम सबके लिए स्वीकार्य होगा।” हालांकि, सियासी जानकार इस बयान को साधारण नहीं मान रहे हैं। माना जा रहा है कि भले ही उन्होंने संगठनात्मक निर्णय को सर्वमान्य बताया हो, लेकिन बीजेपी उनकी सहमति के बिना अंता सीट से किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं करेगी।
राजे की पसंद चलेगी या हाईकमान का आदेश?
अंता विधानसभा क्षेत्र में राजे और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का प्रभाव खासा मजबूत माना जाता है। इसी कारण भाजपा के टिकट को लेकर अंदरूनी समीकरणों की चर्चा तेज है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ द्वारा वसुंधरा राजे से मुलाकात भी इन्हीं समीकरणों को साधने की कवायद मानी जा रही है।
आज होगा ऐलान!
प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के हवाले से संकेत मिले हैं कि आज देर रात तक भाजपा अपने उम्मीदवार का नाम सार्वजनिक कर सकती है। फिलहाल पार्टी स्तर पर मंथन जारी है, और राजे खेमे से जुड़े कुछ संभावित चेहरों की खूब चर्चा हो रही है।
कौन-कौन है रेस में? ये हैं प्रमुख दावेदार
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भगवती देवी – पूर्व विधायक कंवरलाल मीणा के परिवार से संबंध, स्थानीय पकड़ मजबूत
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नंदलाल सुमन – पूर्व जिला प्रमुख, संगठन में अच्छी पकड़
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मोरपाल – जमीनी कार्यकर्ता और राजे समर्थक
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प्रभुलाल सैनी – पूर्व मंत्री, माली समाज से आते हैं, जो अंता में लगभग 45 हजार वोटर्स की संख्या रखता है। इन नामों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है और हर गुट अपनी-अपनी दावेदारी पुख्ता करने में जुटा है।
क्या कहती है सियासत की चाल?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा राजे का बयान भले ही पार्टी लाइन के अनुरूप हो, लेकिन उसमें सियासी संकेत छुपे हैं। उनके प्रभाव को दरकिनार कर भाजपा कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं दिख रही है।
अंता में कौन मारेगा बाज़ी?
एक तरफ कांग्रेस पहले ही मैदान में उतर चुकी है, तो दूसरी ओर भाजपा की देरी से संदेश और रणनीति दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब देखना यह है कि राजे की सहमति से कौन उम्मीदवार सामने आता है और यह मुकाबला किस दिशा में जाता है।
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