राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन जारी है। कांग्रेस ने जहां पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को पहले ही मैदान में उतार दिया है, वहीं निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा भी नामांकन दाखिल कर चुके हैं। भाजपा ने अब तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
बुधवार को जयपुर स्थित भाजपा मुख्यालय से लेकर वरिष्ठ नेताओं के बंगलों तक टिकट के दावेदारों का तांता लगा रहा। इस बीच पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की, जिसके बाद राजनीतिक अटकलों को और हवा मिल गई है। माना जा रहा है कि पार्टी अब कभी भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकती है।
मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और राजे के बीच गहन चर्चा
जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच अंता उपचुनाव को लेकर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। चूंकि अंता विधानसभा हाड़ौती क्षेत्र में आती है, जो राजे का पारंपरिक राजनीतिक गढ़ माना जाता है, इसलिए उम्मीदवार चयन में उनकी भूमिका को अहम माना जा रहा है। हालांकि वसुंधरा राजे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस सीट पर प्रत्याशी का अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष करेंगे। बावजूद इसके प्रभुलाल सैनी की उनसे मुलाकात को सियासी संकेतों से जोड़ा जा रहा है।
जातीय समीकरणों में उलझी भाजपा
अंता विधानसभा क्षेत्र में माली समाज की बहुलता है और प्रभुलाल सैनी इसी समाज से आते हैं। भाजपा ने अतीत में उन्हें दो बार टिकट दिया था, जिनमें से एक बार वे विजयी रहे और एक बार हार का सामना करना पड़ा। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि सैनी मूल रूप से बूंदी जिले से आते हैं, जबकि अंता बारां जिले का हिस्सा है।
स्थानीय भाजपा नेताओं की मांग है कि इस बार पार्टी किसी स्थानीय चेहरे को मैदान में उतारे। अब तक इस सीट पर भाजपा ने किसी स्थानीय को टिकट नहीं दिया है, जो पार्टी के लिए अंदरूनी असंतोष और विपक्षी हमलों का कारण बन रहा है। कांग्रेस ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया है और भाजपा पर बाहरी उम्मीदवार थोपने का आरोप लगाया है।
सैनी ने जताई दावेदारी
वसुंधरा राजे से मुलाकात के बाद प्रभुलाल सैनी ने कहा कि भाजपा इस उपचुनाव को पूरी मजबूती और एकजुटता के साथ लड़ेगी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी दावेदारी पार्टी नेतृत्व के सामने रख दी है। “मैं पहले अंता से विधायक रह चुका हूं। पार्टी जिसे भी टिकट देगी, हम सभी मिलकर उसे जीत दिलाने में जुट जाएंगे।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि टिकट वितरण का अंतिम निर्णय भाजपा के संसदीय बोर्ड द्वारा लिया जाएगा। राजे से हुई चर्चा में चुनावी रणनीति, स्थानीय मुद्दे और संगठनात्मक एकजुटता जैसे विषयों पर फोकस रहा।
नज़रें अब भाजपा की घोषणा पर
अंता उपचुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। अगर आज शाम तक पार्टी उम्मीदवार घोषित करती है, तो साफ हो जाएगा कि पार्टी ने स्थानीय बनाम बाहरी के विवाद में किस पक्ष को तवज्जो दी है। वहीं, कांग्रेस पहले ही अपने उम्मीदवार की घोषणा कर मुकाबले में बढ़त बना चुकी है। अब सबकी निगाहें भाजपा की सूची और प्रत्याशी पर टिकी हैं, जो उपचुनाव में मुकाबले की दिशा तय करेगा।
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