Asrani Death News: बॉलीवुड को हँसी की सौगात देने वाले दिग्गज अभिनेता गोवर्धन असरानी का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दिवाली के पावन दिन दोपहर 3 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। इससे कुछ ही घंटे पहले उन्होंने इंस्टाग्राम पर दिवाली की शुभकामनाएं साझा की थीं। यह देखकर किसी को भी अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आखिरी पोस्ट होगी।
असरानी पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। चार-पांच दिन पहले उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्हें मुंबई के आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उसी शाम 20 अक्टूबर को रात 8 बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
जयपुर से मुंबई तक का संघर्षपूर्ण सफर
असरानी का जन्म एक मिडिल क्लास सिंधी परिवार में हुआ था, जो भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद जयपुर आकर बसा। पिता उन्हें अपने कालीन के व्यवसाय में लगाना चाहते थे, पर असरानी का मन अभिनय में था। रेडियो आर्टिस्ट के रूप में शुरुआत की, फिर जयपुर के रंगमंच में अपनी पहचान बनाई। यहीं से ‘जूलियस सीजर’ और ‘अब के मोहे उबारो’ जैसे नाटकों के जरिए उन्होंने मंच पर अभिनय का जादू दिखाया।
लेकिन उनका सपना था मुंबई पहुंचकर फिल्मों में काम करना। पिता की मंजूरी न मिलने पर वो चुपचाप घर से भाग निकले और 1962 में मुंबई पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात मशहूर निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी से हुई, जिन्होंने उन्हें एफटीआईआई (पुणे) में दाखिला लेने की सलाह दी। 1966 में कोर्स पूरा करने के बाद असरानी ने गुजराती फिल्म से करियर की शुरुआत की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
“शोले” के जेलर से लेकर सैकड़ों फिल्मों तक
असरानी ने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें हास्य भूमिकाएं सबसे अधिक रहीं। लेकिन सिर्फ कॉमेडी ही नहीं, उन्होंने संजीदा किरदार भी निभाए। “शोले” फिल्म में उनका जेलर का किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसा है—”हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं!”—यह डायलॉग आज भी सुनते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
एक कलाकार, जो हमेशा जिंदादिल रहा
फिल्मी दुनिया में कई उतार-चढ़ाव आए। कभी काम की कमी हुई तो कभी पहचान को बनाए रखना पड़ा। फिर भी असरानी ने हार नहीं मानी। उन्होंने न केवल अभिनय किया, बल्कि बतौर डायरेक्टर और लेखक भी खुद को साबित किया।


