Rajasthan News: जयपुर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में कार्यरत राजकॉम्प के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रद्युमन दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत लेने के बदले अपनी पत्नी को हर महीने ₹1.60 लाख की सैलरी दिलवाई। कोर्ट के आदेश के बाद एसीबी ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
21 महीनों में 37.54 लाख रुपए ट्रांसफर
एसीबी की जांच में सामने आया कि प्रद्युमन दीक्षित ने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित के पांच अलग-अलग बैंक खातों में जनवरी 2019 से सितंबर 2020 के बीच करीब ₹37,54,405 जमा करवाए। ये भुगतान ओरियनप्रो सॉल्यूशंस लिमिटेड और ट्रीजेन सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड नाम की दो निजी कंपनियों से करवाए गए।
बिना काम किए ली गई सैलरी
जांच के अनुसार, पूनम दीक्षित को इन दोनों कंपनियों में औपचारिक रूप से नियुक्त किया गया, लेकिन उन्होंने कभी भी ऑफिस जाकर काम नहीं किया। कंपनियों ने उनके नाम पर हर महीने वेतन भेजा, जबकि वास्तव में यह भुगतान प्रद्युमन दीक्षित की सिफारिश पर रिश्वत के तौर पर किया गया था।
एक ही समय में दो कंपनियों से सैलरी
एसीबी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पूनम दीक्षित ने एक ही समय में दोनों कंपनियों से वेतन प्राप्त किया। प्रद्युमन दीक्षित खुद उनकी उपस्थिति रिपोर्ट को सत्यापित करते थे। ओरियनप्रो कंपनी में नौकरी दिखाते हुए उन्होंने ट्रीजेन कंपनी से ‘फ्रीलांसिंग’ के नाम पर भी भुगतान लिया। दिलचस्प बात यह है कि दोनों कंपनियों को इसी अवधि में सरकारी टेंडर भी मिले।
अदालत के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा
एक परिवादी की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद मामला खुला। कोर्ट के 6 सितंबर 2024 के आदेश पर एसीबी ने 3 जुलाई 2025 को प्राथमिक जांच दर्ज की थी। जांच में बैंक खातों और कंपनियों के रिकॉर्ड खंगालने के बाद पूरा मामला उजागर हुआ। इसके बाद 17 अक्टूबर 2025 को एसीबी ने प्रद्युमन दीक्षित और संबंधित कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।
डीएसपी नीरज गुरनानी कर रहे हैं जांच
इस पूरे प्रकरण की जांच एसीबी के डीएसपी नीरज गुरनानी को सौंपी गई है। एसीबी अधिकारियों का कहना है कि यह मामला पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का गंभीर उदाहरण है। आगे की कार्रवाई में संबंधित कंपनियों और उनके अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी।
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