राजस्थान इन दिनों बेमौसम बारिश की मार झेल रहा है। अचानक हुई इस बरसात ने खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसान परेशान हैं। वहीं, इस स्थिति ने राजनीतिक हलचल भी बढ़ा दी है। किसानों की चिंता को देखते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मंगलवार को राहत से जुड़ा एक बड़ा ऐलान किया, जिससे किसानों के चेहरों पर उम्मीद की किरण नजर आई है।
‘सरकार को तुरंत गिरदावरी करानी चाहिए’
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों की फसलों का सरकार तुरंत सर्वे कराकर नुकसान का आकलन करे। उन्होंने मांग की कि जिन क्षेत्रों में फसलों को नुकसान हुआ है, वहां के किसानों को नियमों के अनुसार उचित मुआवजा दिया जाए। राठौड़ ने कहा कि वे राज्य सरकार से इस संबंध में आग्रह करेंगे ताकि किसानों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
दिवाली के बाद से बेमौसम बारिश का असर जारी
दिवाली के बाद से राजस्थान में लगातार बेमौसम बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने मंगलवार को राज्य के 23 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया है। सोमवार को जयपुर, उदयपुर और बूंदी (नैनवा में 4 इंच) सहित कई जिलों में जोरदार बरसात हुई। बताया जा रहा है कि उदयपुर में अक्टूबर के आखिर में हुई यह बारिश पिछले 100 सालों का रिकॉर्ड तोड़ गई है।
बेमौसम बरसात के कारण तापमान में आई गिरावट
लगातार बारिश, ठंडी हवाओं और आसमान में छाए बादलों के चलते राजस्थान में दिन का तापमान सामान्य से 6 से 8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। अचानक आई इस ठंड ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। मौसम विभाग का कहना है कि 30 अक्टूबर के बाद मौसम में सुधार होने की संभावना है। हालांकि, बेमौसम बारिश से कई इलाकों में किसानों की कटी हुई फसलें भीग जाने से भारी नुकसान हुआ है।
फसलों पर दोहरी मार, नुकसान और बुवाई में देरी
बेमौसम बारिश का सबसे ज्यादा असर उन किसानों पर पड़ा है, जिनकी धान, मक्का, ज्वार और मूंगफली जैसी फसलें कटकर खेतों या मंडियों में पड़ी थीं। लगातार हुई बरसात से धान की फसल भीग गई है, जिससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ा है और किसानों को अब मंडियों में उचित दाम मिलने की संभावना कम हो गई है। वहीं रबी सीजन की बुवाई करने वाले किसानों के लिए यह मौसम मिलाजुला असर लेकर आया है। सरसों और चने की बुवाई के लिए खेतों में नमी अच्छी हो गई है, लेकिन मटर की बुवाई करने वाले किसानों को इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि यह फसल सूखी जमीन में बोई जाती है। खेतों में अधिक नमी होने के कारण उन्हें बुवाई में देरी करनी होगी, जिससे फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है।


