Rajasthan education news: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत शिक्षक शिक्षा में बड़े बदलावों का लक्ष्य है, लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल की कमी से राजस्थान में यह सुधार जमीन पर उतर नहीं पा रहा। इसका सबसे बड़ा प्रभाव बीएड कॉलेजों पर दिख रहा है। एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) ने बीएड संस्थानों को मल्टी-डिसिप्लिनरी मॉडल पर रूपांतरित करने की गाइडलाइन जारी की है, लेकिन राज्य उच्च शिक्षा विभाग अभी तक इस दिशा में कार्य नहीं कर पाया है।
700 बीएड कॉलेजों पर मंडरा रहा खतरा
राज्य सरकार द्वारा नए अकादमिक कॉलेजों को मान्यता (NOC) नहीं देने से लगभग 700 बीएड कॉलेजों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। एनसीटीई ने स्पष्ट किया है कि 2030 तक मल्टी-डिसिप्लिनरी मॉडल के अनुरूप संस्थान नहीं बनाने पर ऐसे कॉलेजों को बीएड प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी। यदि स्थिति नहीं बदली तो हर साल बीएड में प्रवेश लेने वाले लगभग 2 लाख अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में रह जाएगा।
मान्यता रोकने का फैसला बना बाधा
उच्च शिक्षा विभाग ने निजी कॉलेजों की बढ़ती संख्या के कारण वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए नए निजी महाविद्यालयों की मान्यता पर रोक लगा दी थी। यह रोक अब तक जारी है। बीएड कॉलेज संचालक एनईपी के अनुरूप सामान्य अकादमिक कॉलेज की मान्यता मांग रहे हैं, लेकिन विभाग इसे मंजूरी नहीं दे रहा।
अब मल्टी-डिसिप्लिनरी मॉडल होगा अनिवार्य
अब बीएड संस्थानों को सिर्फ शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ही नहीं, बल्कि विज्ञान, कला, मानविकी, इंजीनियरिंग, समाजशास्त्र जैसे विषय भी संचालित करने होंगे। इसके लिए उन्हें सामान्य डिग्री कॉलेज की तरह मान्यता चाहिए।
कमेटी बनी, सुझाव आए, लेकिन फाइल रुकी
नई नीति लागू करने पर विभाग ने एक समिति बनाई थी। जानकारी के अनुसार समिति ने बीएड कॉलेजों को एकेडमिक कॉलेज संचालन की अनुमति देने की सिफारिश कर भी दी है, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही।
संस्थानों की मांग
- NOC जारी की जाए
- मल्टी-डिसिप्लिनरी मॉडल लागू करने के लिए समय-सीमा और रोडमैप तय हो
- NEP के अनुरूप राज्यों को स्पष्ट दिशानिर्देश मिले
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