झुंझुनू जिले के भाकरा गांव का ऊंट ‘नागराज’ भी संचोरी नस्ल का बेहद खास ऊंट है। उसके शरीर पर की गई राजस्थान की पारंपरिक कला और संस्कृति की बारीक नक्काशी पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। नागराज के शरीर पर पनिहारी, जिराफ, हाथी, घोड़ा समेत कई सुंदर आकृतियां उकेरी गई हैं, जिन्हें तैयार करने में करीब 25 दिन की मेहनत लगी है। ऊंट मालिक सागर के अनुसार, नागराज अपनी अद्वितीय सुंदरता और कलात्मक डिजाइन की वजह से कई वीआईपी शादियों और पशु प्रतियोगिताओं में इनाम जीत चुका है।
घायल 7 बच्चे कोटा रेफर
जैसे ही परिजन अस्पताल पहुंचे, वहां का मंजर देखकर वे सदमे में आ गए और रो पड़ے। हादसे में घायल अन्य बच्चों का उपचार फिलहाल इटावा अस्पताल में चल रहा है, जबकि गंभीर रूप से घायल सात बच्चों को कोटा रेफर किया गया है। चश्मदीदों के मुताबिक, टक्कर इतनी भीषण थी कि कुछ बच्चे वैन से लगभग 20 मीटर दूर जाकर गिरे।
टायर फटने की वजह से हादसा
हादसा 132 केवी जीएसएस के पास हुआ। बच्चों के अनुसार, वे सभी इको गाड़ी से गुमानपुरा स्थित स्कूल ऑफ जॉय एंड हैप्पीनेस जा रहे थे। रास्ते में गाड़ी का टायर अचानक फट गया, जिससे वाहन सामने से आ रही बोलेरो से भिड़ गया और पलट गया। टक्कर इतनी तेज थी कि गाड़ी के परखच्चे उड़ गए।
सड़क पर बिखरीं कॉपी-किताबें
डीएसपी शुभम जोशी ने बताया कि हादसे के बाद घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया ताकि बच्चों को समय पर उपचार मिल सके। उन्होंने कहा कि पूरी घटना की जांच की जा रही है। वहीं, घटनास्थल से सामने आए वीडियो में स्कूल वैन के आसपास बिखरी बच्चों की कॉपियां और किताबें नजर आ रही हैं, जिन्हें स्थानीय लोग इकट्ठा करते हुए दिखाई दिए।
बाल-बाल बची यात्रियों की जान
बोलेरो में सवार दोनों व्यक्तियों को मामूली चोटें आई हैं। उनका कहना है कि हादसा स्कूल वैन का टायर फटने से हुआ। उन्होंने बताया कि टक्कर से बचने के लिए बोलेरो चालक ने ब्रेक लगाकर गाड़ी को सड़क के दूसरी ओर मोड़ने की कोशिश की, लेकिन तेज रफ्तार और अचानक हुए टायर फटने के कारण टक्कर टल नहीं सकी और दोनों वाहन पलट गए।
‘7 सीटर गाड़ी में 12 बच्चे बैठाए’
जानकारी के अनुसार, मारुति सुजुकी की ईको गाड़ी आमतौर पर 5 या 7 सीटर होती है, लेकिन इस वाहन में 12 बच्चों को बैठाया गया था, जो मोटर वाहन नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। नियमों के तहत स्कूल ड्यूटी पर चलने वाले वाहनों का रंग सुनहरा पीला होना आवश्यक है, चाहे वह स्कूल की अपनी बस हो या निजी वाहन। हालांकि, इस मामले में ग्रे कलर की प्राइवेट नंबर वैन से बच्चों को ले जाया जा रहा था, जो सुरक्षा मानकों और परिवहन नियमों दोनों की अनदेखी दर्शाता है।


