राजस्थान पुलिस की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) ने एनसीबी के साथ मिलकर नशे के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। “ऑपरेशन गांजाजन” नाम से चलाए गए इस अभियान में उदयपुर, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में गांजे की अवैध खेती का खुलासा हुआ। करीब 50 बीघा भूमि पर उगाई गई इस फसल से पुलिस ने 8 हजार से ज्यादा गांजे के पौधे जब्त किए हैं। जांच में सामने आया कि यह गांजा गुजरात, दक्षिण राजस्थान, उत्तर गुजरात और पंजाब तक सप्लाई किया जा रहा था। पुलिस के मुताबिक, यह पहली बार है जब राज्य में नशे के इतने बड़े नेटवर्क को जड़ से समाप्त करने में सफलता मिली है।
पुलिस महानिदेशक (एएनटीएफ) विकास कुमार ने बताया कि नशे के खिलाफ चल रहे अभियान में एनसीबी और राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीमों ने बड़ी सफलता हासिल की है। एडीजी नारकोटिक्स ने कहा कि राज्य के आदिवासी इलाकों में पिछले कई वर्षों से नशे के कारोबारियों द्वारा अवैध रूप से गांजे की खेती की जा रही थी। इस कार्रवाई के जरिए लंबे समय से सक्रिय इस नेटवर्क पर बड़ी चोट पहुंचाई गई है।
राजस्थान में गांजे की बड़ी मात्रा में सप्लाई हो रही है
पिछले कुछ महीनों से एएनटीएफ को लगातार जानकारी मिल रही थी कि राजस्थान के कुछ इलाकों में गांजे की बड़ी खेप की सप्लाई की जा रही है। इस पर टीम ने गुप्त रूप से निगरानी शुरू की। करीब एक महीने तक ‘पाइपलाइन बिछाने’ और ‘बिजली कनेक्शन जांच’ के नाम पर खेतों की बारीकी से जांच की गई। कृषि विभाग और बिजली विभाग की टीमों की मदद से यह पता लगाया गया कि किन क्षेत्रों में अवैध रूप से गांजे की खेती की जा रही है।
टीमों ने संदिग्ध खेतों की मिट्टी के नमूने जांच के लिए एकत्र किए, जिनसे यह साफ हो गया कि इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गांजे की अवैध खेती की जा रही थी। इसके बाद पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से खेतों में खड़ी पूरी फसल को नष्ट कर दिया। एएनटीएफ के महानिदेशक विकास कुमार ने बताया कि यह अभियान पूरी तरह गोपनीय रखा गया था, ताकि किसी भी तरह की सूचना तस्करों तक न पहुंचे। पुलिस टीम ने जयपुर से रवाना होकर ग्रामीण इलाकों में प्रवेश करने के लिए “अंबे माता की शोभायात्रा” का रूप धारण किया, जिससे कार्रवाई पूरी तरह गुप्त रखी जा सके।
चार अलग-अलग टीमों ने एक साथ कार्रवाई की
ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए पुलिस ने बेहद सुनियोजित रणनीति अपनाई। पहली टीम ने पानी की पाइपलाइन सर्वे के नाम पर इलाके की टोह ली, जबकि दूसरी टीम कृषि भूमि के निरीक्षण के बहाने खेतों तक पहुंची। तीसरी टीम ने बिजली विभाग के नाम पर लाइनों की जांच की, वहीं चौथी टीम ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण के बहाने आदिवासी इलाकों में दाखिल हुई। इन चारों टीमों के समन्वित प्रयासों से अभियान पूरी तरह सफल रहा। पुलिस के अनुसार, जब्त की गई अवैध गांजा फसल की कीमत करोड़ों रुपये आंकी गई है। करीब 50 बीघा जमीन पर 8 हजार से ज्यादा पौधे मिले, जो उच्च गुणवत्ता के थे और नशे के नेटवर्क के जरिए अन्य राज्यों में भेजे जा रहे थे।
एक पौधे को तैयार होने में तीन से चार महीने लगते हैं
जानकारी के अनुसार, गांजे का एक पौधा तैयार होने में करीब तीन से चार महीने का समय लगता है। तस्कर इन पौधों को तैयार कर हर फसल को गुजरात और पंजाब के बाजारों में ऊंचे दामों पर बेचते थे। यह कार्रवाई मुख्य रूप से उदयपुर के कुडचा-मंडवा, माणकवा और निचली सुखेरी उपतहसील के जंगलों और पहाड़ी इलाकों में की गई। अभियान में सौ से अधिक पुलिसकर्मी और एनसीबी के अधिकारी शामिल रहे, जिन्होंने समन्वित तरीके से पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया।
अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस अवैध गांजा नेटवर्क की जड़ें कितनी गहरी हैं और क्या इसका संबंध राज्य से बाहर के बड़े नशा तस्कर गिरोहों से भी है। एएनटीएफ और एनसीबी की संयुक्त टीमें यह भी जांच कर रही हैं कि क्या यहां उगाई गई फसल को अन्य राज्यों में सस्ते नशे के रूप में भेजा जा रहा था। जांच एजेंसियां अब इस पूरे तस्करी तंत्र की कड़ियों को जोड़ने में लगी हुई हैं।
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