Rajasthan Udaan Yojana: राजस्थान की उड़ान योजना के तहत किशोरियों और महिलाओं को निशुल्क सेनेटरी पैड्स उपलब्ध कराने का बड़ा उद्देश्य था. पिछले कुछ वर्षों में कई बड़े प्रशासनिक और विभागीय चूक देखने को मिलीं. सबसे बड़ी समस्या यह रही कि सेनेटरी पैड्स की निरंतर और नियमित खरीद तथा वितरण नहीं हो पाया. इसकी जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग की थी, जो खरीद प्रक्रिया के लिए राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) पर निर्भर था. आरएमएससीएल ने पिछले साल अप्रैल से जून तक के लिए ही पैड्स की खरीद की और उसके बाद की खरीद बंद कर दी. विभाग ने समय रहते नई खरीद के लिए आवश्यक टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं की, जिससे महीनों तक तक पैड्स की सप्लाई ठप रही.
इस लापरवाही के कारण स्कूल, कॉलेज और आंगनबाड़ी केन्द्रों में पैड्स का वितरण बंद हो गया. कई इलाकों में तो विद्यार्थियों और महिलाओं को पैड्स मिलने बंद हो गए, जिससे मासिक धर्म के दौरान लड़कियों की पढ़ाई बाधित हुई. विभागीय अधिकारियों और संबंधित प्रबंधन ने इस मामले में उचित ध्यान नहीं दिया, न ही ठोस कदम उठाए. मानवाधिकार आयोग (NHRC) को इस पर शिकायत मिली, जिसने सरकार से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगने के निर्देश दिए. बावजूद इसके, अभी भी स्थिति पूरी तरह सुधर नहीं पाई है. यह स्थिति विभाग की कमजोर योजना और प्रबंधन की विफलता को दर्शाती है.
लड़कियों का ड्रॉपआउट बढ़ा तो कौन जिम्मेदार होगा?
स्कूलों में सेनेटरी पैड्स न मिलने के कारण कई छात्राएं मासिक धर्म के दिनों में स्कूल से अनुपस्थित रहने को मजबूर हैं. पैड्स की अनुपलब्धता से लड़कियां न सिर्फ भौतिक असहजता झेलती हैं, बल्कि उनकी पढ़ाई पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. शिक्षा आयोगों और विभिन्न अध्ययन रिपोर्ट्स में यह निष्कर्ष सामने आया है कि मासिक धर्म से संबंधित सुविधाओं की कमी स्कूल ड्रॉपआउट रेट बढ़ाने में एक बड़ी वजह है.
राजस्थान सरकार की उड़ान योजना का मकसद था कि हर सरकारी स्कूल तक नियमित रूप से मुफ्त सेनेटरी पैड पहुंचे, जिससे लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान स्कूल छोड़ना न पड़े. परंतु सप्लाई में आई व्यवधानों ने इस योजना को धराशायी कर दिया. कई स्कूलों तक पैड्स नहीं पहुंचे, जिससे लड़कियों को मजबूरन महंगे पैड खुद खरीदने पड़े. कमजोर आर्थिक स्थिति वाली छात्राओं के लिए यह और भी बड़ी चुनौती बनी. गणना यह भी बताती है कि पैड्स की कमी के कारण कई बार लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ा और उनकी पढ़ाई बाधित हुई.
इसके अलावा, स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता भी कम हुई, क्योंकि पैड्स उपलब्ध नहीं थे और सही जानकारी भी नहीं पहुंच पाई. यह स्थिति बच्चों के समग्र विकास में बाधक बनी, जिससे बालिका शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई. बालिका सुरक्षा की दृष्टि से यह आवश्यक है कि मासिक धर्म से जुड़ी देखभाल और सुविधा ठीक से उपलब्ध हो, ताकि वे सुरक्षित महसूस करें और शिक्षा में पूरी सहभागिता कर सकें. उड़ान योजना का सही क्रियान्वयन इस दिशा में पहला कदम हो सकता था, लेकिन विभाग की अनदेखी ने इस सपने को अधूरा छोड़ दिया.
यह भी पढ़ें: जयपुर में बेकाबू डंपर ने मचाई तबाही, 10 गाड़ियों को मारी टक्कर, 7 की मौत; मची चीख पुकार


                                    
