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Thursday, November 6, 2025

बीसलपुर और ईसरदा बांध से नवंबर में भी जारी पानी की निकासी, बनास नदी में तेज बहाव कायम

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राजस्थान के टोंक जिले में इस बार मानसून के बाद भी जल प्रबंधन की अनोखी स्थिति देखने को मिल रही है। जिले के दो प्रमुख बांध — बीसलपुर और ईसरदा — के गेट नवंबर महीने में भी खुले हुए हैं। इसके चलते बनास नदी में पानी का तेज बहाव लगातार बना हुआ है। बताया जा रहा है कि पिछले 20 वर्षों में यह पहला मौका है जब सर्दी की शुरुआत से ठीक पहले बीसलपुर बांध से पानी छोड़ा जा रहा है।

104 दिन तक निकासी, अब भी जलस्तर मेंटेन

जयपुर, अजमेर और टोंक समेत राजस्थान के बड़े हिस्से को पेयजल उपलब्ध कराने वाला बीसलपुर बांध इस बार रिकॉर्ड बना रहा है। इस मानसून सीजन में बांध से लगातार 104 दिनों तक पानी छोड़ा गया है। जल संसाधन विभाग के अनुसार, 6 नवंबर 2025 की सुबह तक बांध के गेट नंबर 11 से 1503 क्यूसेक पानी बनास नदी में छोड़ा जा रहा था। फिलहाल बांध का जलस्तर 315.50 आरएल मीटर पर स्थिर रखा गया है।

Rajasthan: नवंबर में भी टोंक के बीसलपुर और ईसरदा बांध के गेट खुले, बनास नदी में तेज बहाव जारी

ईसरदा बांध पर दबाव: चार गेट खुले

टोंक जिले के उनियारा उपखंड स्थित बनेठा के पास बनास नदी पर बने ईसरदा बांध से भी इन दिनों लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। बीसलपुर बांध से तेज जल आवक के कारण यहां के चार गेट खोले गए हैं। जल संसाधन विभाग के अनुसार, गेट नंबर 10, 11, 12 और 14 से पानी की निकासी की जा रही है। इनमें गेट नंबर 11, 12 और 14 को 3 मीटर तक, जबकि गेट नंबर 10 को 2.5 मीटर तक खोला गया है।

बनास का रौद्र रूप, पानी सीधे चंबल में

बीसलपुर और ईसरदा दोनों बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने से बनास नदी में तेज बहाव बना हुआ है। यह जलधारा आगे चलकर चंबल नदी में समा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति जल प्रबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। आमतौर पर नवंबर तक बांधों के गेट बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन इस साल मानसून के देर से सक्रिय होने और अधिक वर्षा के कारण जलस्तर नियंत्रित रखने के लिए अब तक निकासी जारी रखनी पड़ रही है।

नदी किनारे रहने वाले लोग रहें सतर्क

कृषक और नदी किनारे रहने वाले लोगों को जल संसाधन विभाग ने सावधानी बरतने की सलाह दी है, क्योंकि बनास नदी का बहाव इस समय सामान्य से ज्यादा है। विभाग का कहना है कि बीसलपुर और ईसरदा बांधों का सुचारू प्रबंधन जल सुरक्षा के साथ-साथ प्रदेश की पेयजल सप्लाई और सिंचाई व्यवस्था के दीर्घकालिक संतुलन के लिए बेहद अहम भूमिका निभाता है।

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