राजस्थान पुलिस के आनंदपाल एनकाउंटर मामले में पुनरीक्षण न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के फैसले को पलट दिया है, जिसमें पुलिस पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था।
अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी सिर्फ एक खतरनाक अपराधी को पकड़ने का काम कर रहे थे। बिना पूरी जांच के पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज करना सही नहीं था और यह कानून और तथ्यों के खिलाफ था।
मृतक ने खुद चलाई गोली
पुलिस के वरिष्ठ वकील विनीत जैन, राहुल चौधरी और उमेशकांत व्यास ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं, जिन्हें कोर्ट ने मान लिया।
वकीलों ने बताया कि जांच और वैज्ञानिक सबूतों से यह स्पष्ट हो गया है कि मृतक ने खुद ऑटोमैटिक हथियार से फायरिंग की थी, जिससे पुलिस के एक सदस्य को गंभीर चोट आई। अदालत ने माना कि मजिस्ट्रेट ने इस अहम तथ्य को ध्यान में रखे बिना मामला दर्ज कर लिया था, जो सही नहीं था।
छह साल बाद गवाहों के झूठे दावे
एक और अहम बात यह सामने आई कि मृतक का भाई, जिसने खुद को गवाह बताया, जांच के समय खुद को कभी चश्मदीद नहीं माना।
लगभग 6 साल बाद उसने पुलिस पर आरोप लगाए, लेकिन ये किसी भी ठोस सबूत से साबित नहीं हुए। सीबीआई की वैज्ञानिक जांच ने इन आरोपों को गलत साबित कर दिया। कोर्ट ने माना कि एनकाउंटर में दोनों तरफ से फायरिंग हुई थी, इसलिए केवल पुलिस पर हत्या का आरोप लगाना सही नहीं था।
पुलिस का मनोबल गिराने वाला कदम
अंत में, वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं, उनके खिलाफ बिना पूरी जांच किए कार्रवाई करना उनके मनोबल को तोड़ता है।
अदालत ने इस तर्क को मानते हुए कहा कि ऐसे गंभीर और संवेदनशील मामलों में निर्णय बहुत सोच-समझकर और सावधानी के साथ लेना चाहिए।
संक्षेप में, अदालत ने स्पष्ट किया कि पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे और उनके खिलाफ लिया गया संज्ञान गलत था। इस फैसले के साथ ही मामला वापस ले लिया गया, जो राजस्थान पुलिस के लिए एक बड़ी कानूनी सफलता है।
आनंदपाल के वकील ने अपील की घोषणा
आनंदपाल के वकील भंवरसिंह ने NDTV राजस्थान से बातचीत में बताया कि लगभग एक साल पहले सिविल कोर्ट ने 7 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाते हुए और आत्मरक्षा में कार्रवाई कर रहे थे, इसलिए इसे हत्या नहीं माना गया। भंवरसिंह ने कहा कि फैसले में कई कमियां हैं और अब वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि हाईकोर्ट में उनकी अपील सफल होगी।
7 अफसरों पर हत्या का केस
बताया जा रहा है कि 24 जून 2017 को चूरू में पुलिस ने आनंदपाल को मारकर एनकाउंटर का नाम दिया था। इसके बाद, जुलाई 2024 में कोर्ट ने 7 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का केस चलाने का आदेश दिया।
इसमें तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहठ, कुचामन सर्किल के उस समय के पुलिस उपाधीक्षक विद्या प्रकाश, और एसओजी में इंस्पेक्टर रहे सूर्यवीर सिंह राठौड़ शामिल थे। इनके अलावा आरएसी हेड कांस्टेबल कैलाश, कांस्टेबल धर्मवीर, सोहनसिंह और धर्मपाल पर भी हत्या का मामला चल रहा था।
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