नई दिल्ली: बिहार चुनाव परिणाम आज घोषित किए जाएंगे, और मतगणना के दिन सबसे ज्यादा चर्चा EVM की सुरक्षा को लेकर होती है। बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि मतदान खत्म होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को कैसे सुरक्षित रखा जाता है और स्ट्रॉन्ग रूम की चाबी किसके पास रहती है।
आम धारणा यह है कि वोटिंग खत्म होते ही EVM सीधे स्ट्रॉन्ग रूम में बंद कर दी जाती हैं, लेकिन वास्तविक प्रक्रिया इससे कहीं अधिक विस्तृत और चरणबद्ध होती है। स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचने से पहले मशीनों की कई स्तरों पर जांच, सीलिंग और सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और त्रुटिरहित बनी रहे।
वोटिंग बाद ईवीएम जांच प्रक्रिया
मतदान खत्म होते ही प्रीसाइडिंग अफसर ईवीएम की जांच करते हैं और उम्मीदवारों के एजेंटों को रिकॉर्ड की प्रमाणित कॉपी दे देते हैं। इसके बाद सभी मशीनें सुरक्षा घेरे में स्ट्रॉन्ग रूम ले जाई जाती हैं, जहाँ जिला निर्वाचन अधिकारी की निगरानी में 24 घंटे सीसीटीवी, पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात रहते हैं।
यही स्ट्रॉन्ग रूम वह सुरक्षित जगह है, जहाँ ईवीएम को सील कर रखा जाता है ताकि मतगणना तक मशीनों की पवित्रता बनी रहे और किसी भी तरह की छेड़छाड़ की गुंजाइश न बचे।
स्ट्रॉन्ग रूम की पूरी समझ
स्ट्रॉन्ग रूम वह सुरक्षित कक्ष होता है, जहां मतदान के बाद ईवीएम मशीनों को संरक्षित रखा जाता है। इसे आमतौर पर किसी सरकारी स्कूल या सुरक्षित प्रशासनिक परिसर में बनाया जाता है।
इस कक्ष में एक ही प्रवेश द्वार होता है और खिड़कियों को पूरी तरह सील कर दिया जाता है, ताकि अंदर-बाहर किसी प्रकार की आवाजाही संभव न हो। ईवीएम को यहां तक कड़ी सुरक्षा, निरंतर वीडियोग्राफी और राजनीतिक दलों के अधिकृत एजेंटों की मौजूदगी में पहुंचाया जाता है, जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित बनी रहे।
स्ट्रॉन्ग रूम चाबी किसके पास
स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला निर्वाचन अधिकारी के पास होती है, जिन्हें चुनाव पर्यवेक्षक और वरिष्ठ अधिकारी सहयोग देते हैं। इस कमरे को दोहरे लॉक सिस्टम से सील किया जाता है—एक चाबी रिटर्निंग ऑफिसर के पास और दूसरी असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास रहती है।
मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम का ताला सभी उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में खोला जाता है और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी की जाती है। इसके बाद ईवीएम को काउंटिंग हॉल ले जाकर उनकी सील और पहचान संबंधी विवरण की जांच की जाती है, ताकि मतगणना पूरी तरह पारदर्शी तरीके से हो सके।
ईवीएम गिनती की पूरी प्रक्रिया
मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम खोले जाने के बाद ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पर मौजूद ‘रिज़ल्ट’ बटन दबाया जाता है, जिससे उस मशीन में दर्ज सभी वोट उम्मीदवारवार स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाते हैं। इसी तरह हर कंट्रोल यूनिट का परिणाम निकालकर प्रत्याशियों के कुल वोटों का हिसाब तैयार किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान 6 और 11 नवंबर को संपन्न हुआ था, और इस बार 1951 के बाद का सर्वाधिक—67.13 प्रतिशत—मतदान दर्ज किया गया, जो जनता की अभूतपूर्व भागीदारी को दर्शाता है।
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