Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता-पुत्र के संपत्ति विवाद से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वयस्क बेटे को पिता की स्व-अर्जित संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। यही नहीं, अदालत ने पिता को परेशान करने और उनकी संपत्ति पर जबरन कब्ज़ा करने वाले बेटे की याचिका खारिज करते हुए 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
स्व-अर्जित संपत्ति पर पिता का पूर्ण अधिकार
पैतृक संपत्ति: जिस संपत्ति को पिता ने अपने पिता से पाया है, उस पर परिवार के सभी सदस्यों का हक बनता है।
स्व-अर्जित संपत्ति: जो संपत्ति पिता ने अपने कमाई से खुद बनाई है, उस पर पूरा अधिकार सिर्फ पिता का ही होता है। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि पिता चाहे तो बेटों को हिस्सा दें, चाहे तो न दें—कानून उन्हें मजबूर नहीं करता।
सवाई माधोपुर का मामला
यह पूरा मामला सवाई माधोपुर के इंदिरा कॉलोनी का है। यहां रहने वाले श्याम सुंदर खत्री ने अपनी मेहनत से एक मकान बनाया था और उसे बेटे को रहने के लिए दे दिया। समय बीतने पर बेटे का व्यवहार बदल गया और पिता ने मकान खाली करने को कहा। लेकिन खाली करने के बजाय बेटे ने उल्टा पिता के खिलाफ ही मामला दर्ज करा दिया। तब पिता ने कोर्ट की शरण ली।
निचली अदालत से हाईकोर्ट तक
अक्टूबर 2024 में निचली अदालत ने पिता के पक्ष में फैसला सुनाया। बेटे रितेश खत्री ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर दी। हाईकोर्ट ने भी निचली कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए कहा पिता की स्व-अर्जित संपत्ति में जबरन घुसना और कब्जा करना पूरी तरह अवैध है। इसके साथ ही कोर्ट ने बेटे पर 1 लाख रुपये का जुर्माना ठोका ताकि भविष्य में कोई और इस तरह का कदम न उठाए।
ऐसे मामले पवित्र रिश्ते को कलंकित करते हैं
जस्टिस सुदेश बंसल ने टिप्पणी की कि बेटों द्वारा पिता पर दबाव बनाना, एफआईआर कराना और संपत्ति के लिए विवाद खड़ा करना दुर्भाग्यपूर्ण है और पिता-पुत्र के रिश्ते को कलंकित करने वाला व्यवहार है।

