Rajasthan Congress: राजस्थान कांग्रेस में संगठन पुनर्गठन की सबसे बड़ी कवायद अब अंतिम दौर में पहुंच गई है। बीते छह महीनों से चल रहे व्यापक फीडबैक, बैठकों और समीकरणों के बाद पार्टी ने जिलाध्यक्षों की सूची लगभग तैयार कर ली है। अब सिर्फ राहुल गांधी की अंतिम मंजूरी का इंतजार है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, 50 में से करीब 40 जिलाध्यक्ष बदले जा रहे हैं, यानी लगभग 80% जिलों में नए चेहरे सामने आएंगे। इससे राजस्थान कांग्रेस का पूरा संगठनात्मक ढांचा बदलने जा रहा है। पहले संभावना थी कि सूची 14 नवंबर तक जारी हो जाएगी, लेकिन अब अंता उपचुनाव के नतीजों के बाद सभी जिलों की घोषणा एक साथ करने की संभावना है।
दिल्ली में मंथन
दिल्ली स्थित एआईसीसी मुख्यालय में लगातार हुई बैठकों में संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने हर जिले की रिपोर्ट पर अलग-अलग स्तर पर मंथन किया। राज्य के 29 पर्यवेक्षकों से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर स्थानीय समीकरण, जातीय संतुलन, संगठनात्मक सक्रियता को देखते हुए प्रत्येक जिले से 5-6 नामों का पैनल तैयार कर दिल्ली भेजा गया है।
राहुल गांधी लगाएंगे अंतिम मुहर
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने हर जिले के लिए दो वैकल्पिक नामों की बैकअप लिस्ट भी रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य की परिस्थितियों में संगठनात्मक निरंतरता बनी रहे। एआईसीसी महासचिव वेणुगोपाल ने साफ कहा है कि आने वाले चुनावों में जिलाध्यक्ष औपचारिक पदाधिकारी नहीं, बल्कि ग्राउंड कमांडर होंगे और उनकी त्रैमासिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट दिल्ली भेजी जाएगी। यानी, अब जिम्मेदारी के साथ जवाबदेही भी तय होगी।
8 जिलों पर एआईसीसी की सीधी नाराज़गी
करीब 19 जिलों में मतभेद और आपत्तियों के चलते सूची पर सहमति बनने में देरी हुई। 8 जिलों की प्रारंभिक सूची पर तो एआईसीसी ने सीधे तौर पर आपत्ति जताई है। इसके बावजूद लगभग 96% नाम फाइनल हो चुके हैं और अब अंतिम सत्यापन दिल्ली स्तर पर चल रहा है। पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा पहले भी कह चुके हैं अब गेंद आलाकमान के पाले में है। हमने अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है।
2029 की तैयारी, नई पीढ़ी की एंट्री
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इसे 2029 के मिशन की लंबी संगठनात्मक तैयारी माना जा रहा है। कांग्रेस अब ‘परफॉर्म करो या हटो’ की नीति के साथ एक नई और ऊर्जावान टीम तैयार करना चाहती है। यह सिर्फ जिलाध्यक्ष बदलने का फैसला नहीं, बल्कि कांग्रेस की रणनीति, नेतृत्व शैली, और संगठनात्मक सोच में बड़े परिवर्तन की शुरुआत है।
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