Rajasthan News: राजस्थान के सुप्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलिया जी मंदिर (Sanwaliya Seth Temple) के करोड़ों रुपये के भंडार को लेकर मंडफिया सिविल कोर्ट से एक ऐतिहासिक फैसला आया है। यह आदेश न केवल मंदिर की चढ़ावे की राशि की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि वर्षों से चली आ रही राजनीतिक दबाव की परंपरा पर भी कड़ी रोक लगाता है। मंदिर के भंडार से हर महीने औसतन 26 से 27 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि आती है, जिस पर विभिन्न राजनीतिक और बाहरी संस्थाओं की लगातार नजर बनी रहती थी।
कोर्ट ने क्या कहा?
सोमवार को सिविल जज विकास कुमार ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि “सांवलिया जी मंदिर की संपत्ति सरकार का खजाना नहीं, बल्कि मंदिर के देवता की संपत्ति है। इसका किसी राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता।” कोर्ट ने मंदिर मंडल को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि मंदिर निधि का दुरुपयोग करने पर यह आपराधिक न्याय भंग (Criminal Breach of Trust) माना जाएगा और संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
क्या है पूरा मामला?
विवाद की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई, जब मंदिर मंडल ने राज्य सरकार की बजट घोषणा के तहत मातृकुंडिया तीर्थस्थल विकास के लिए मंदिर निधि से 18 करोड़ रुपये जारी करने का प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव का स्थानीय निवासियों मदन जैन, कैलाश डाड, श्रवण तिवारी आदि ने पुरजोर विरोध किया और इसे मंडफिया कोर्ट में चुनौती दी। प्रार्थियों ने आरोप लगाया कि मंदिर मंडल क्षेत्र के भक्तों की मूलभूत जरूरतों जैसे निशुल्क भोजनशाला, पार्किंग, शौचालय, चिकित्सा सेवा, उच्च स्तरीय अस्पताल, स्कूल को दरकिनार कर राजनीतिक दबाव में बाहरी क्षेत्रों में मंदिर की राशि खर्च करना चाहता था।
कोर्ट का निर्णय
-
मंदिर निधि का उपयोग केवल मंदिर और उससे जुड़े धार्मिक/स्थानीय कार्यों में ही होगा।
-
यह निधि सरकारी खजाना नहीं, बल्कि देवता की संपत्ति है।
-
राजनीतिक लाभ या बाहरी क्षेत्रों के विकास के लिए एक भी रुपया खर्च नहीं किया जा सकेगा।
-
मंदिर मंडल अधिनियम 1992 की धारा 28 से बाहर जाकर कोई भी व्यय अवैध माना जाएगा।
-
निधि के दुरुपयोग पर अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
18 करोड़ रुपये जारी करने पर स्थाई रोक
कोर्ट ने मंदिर मंडल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और अध्यक्ष को स्थाई निषेधाज्ञा (Permanent Injunction) जारी करते हुए कहा कि मंदिर निधि से 18 करोड़ रुपये की सहायता किसी भी परिस्थिति में जारी नहीं की जा सकती।
गौशाला फंड की मांग भी हुई खारिज
हाल ही में कई राजनीतिक नेताओं, धर्मगुरुओं और संस्थाओं ने सांवलिया जी के भंडार से बड़ी राशि गौशालाओं को देने की मांग की थी। कांग्रेस शासन के दौरान भी ऐसी कोशिशें हुई थीं, लेकिन स्थानीय विरोध के चलते प्रयास विफल हो गए थे। अब इस कोर्ट आदेश के बाद मंदिर निधि से गौशालाओं सहित किसी बाहरी संस्था को राशि देने की मांग पर पूर्ण विराम लग गया है।


