Aravalli Hills: अरावली हिल्स और अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर दशकों पुरानी अस्पष्टता को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला में मौजूदा वैध खनन को जारी रखने की अनुमति दी है, जबकि सभी नई खनन लीज़ों पर पूर्ण रोक लगा दी है। यह रोक तब तक लागू रहेगी, जब तक पर्यावरण मंत्रालय (MoEF&CC) ICFRE द्वारा वैज्ञानिक, जिला-वार “प्रबंधित एवं सतत् खनन योजना” (MPSM) तैयार नहीं कर लेता।
राजस्थान को बड़ी राहत
फैसला राजस्थान के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। राज्य में अरावली पर्वतमाला का सबसे बड़ा भाग स्थित है। राजस्थान की कुल खनन गतिविधियों का लगभग 70% हिस्सा अरावली से जुड़े 17 जिलों में होता है। अरावली की परिभाषा को लेकर लंबे समय से चल रही असमंजस ने खनन उद्योग, पर्यावरणीय अनुमतियों और नीति निर्धारण में लगातार बाधाएं पैदा की थीं।
अरावली की वैज्ञानिक परिभाषा स्वीकार
मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत अरावली हिल्स और अरावली रेंज की वैज्ञानिक-तकनीकी परिभाषा को मंजूरी दे दी। हरियाणा सरकार और कोर्ट द्वारा नियुक्त अमिकस क्यूरी ने इस परिभाषा पर आपत्ति जताई थी, लेकिन कोर्ट ने समिति की सिफारिशों को ही मान्य कर लिया। इसके साथ ही अब पूरे देश में अरावली का एक समान और स्पष्ट मानदंड लागू होगा।
सख्त शर्तों के साथ जारी रहेगा पुराना खनन
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के अरावली क्षेत्र में पहले से वैध खनन जारी रह सकता है लेकिन इसके लिए कड़े निरीक्षण, पर्यावरणीय अनुपालन, नियमित निगरानी और सभी स्वीकृतियों का कठोर पालन अनिवार्य होगा।
कोर्ट ने कहा कि अतीत में लगाए गए पूर्ण प्रतिबंधों ने “अवैध खनन और माफिया गतिविधियों को बढ़ावा दिया था”, इसलिए वैध खनन को रोकना व्यावहारिक समाधान नहीं है, बल्कि उसे नियंत्रित और वैज्ञानिक तरीके से चलाया जाना चाहिए।
MPSM रिपोर्ट के बाद ही मिलेगी नई लीज़ की मंजूरी
अब पर्यावरण मंत्रालय को ICFRE के माध्यम से जिला-वार,वैज्ञानिक, सतत एवं प्रबंधित, खनन योजना तैयार करनी होगी। जब तक यह रिपोर्ट पूरी नहीं होती, नई खनन लीज़ों पर पूर्ण रोक जारी रहेगी।
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