मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पारंपरिक खेती और देशी मवेशियों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष पहल की शुरुआत की है।
इस योजना के तहत ऐसे चयनित लघु और सीमांत किसानों को वर्ष में 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जो बैलों की मदद से खेती करना जारी रखते हैं।
सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल परंपरागत कृषि पद्धतियों को सशक्त करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पशुधन संरक्षण को भी नई दिशा देगा।
प्राकृतिक कृषि को मजबूत सहारा
अधिकारियों के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना, देशी मवेशियों के संरक्षण को बढ़ावा देना और आर्थिक रूप से कमजोर किसान समुदाय को प्रत्यक्ष राहत देना है।
उन्होंने बताया कि आधुनिक कृषि उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण हाल के वर्षों में बैलों से खेत जोतने की परंपरा तेजी से घट गई है।
इस बदलाव ने न केवल देसी नस्लों की मांग कम की है, बल्कि उनके दीर्घकालिक संरक्षण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी
अधिकारियों के अनुसार, बायोगैस अपनाने से किसान ईंधन और कृषि लागत दोनों में कमी ला सकेंगे, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा और खेत में प्राकृतिक खाद तैयार करना आसान होगा। उनका कहना है कि इस पहल से प्राकृतिक खेती को गति मिलेगी और दीर्घकाल में कृषि उत्पादकता में सकारात्मक सुधार देखने को मिलेगा।
बैलों से खेती पर विशेष सहायता
इस पहल में राज किसान साथी पोर्टल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह राज्य सरकार का डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहां किसान विभिन्न योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं, अपनी फाइल की स्थिति देख सकते हैं, कृषि संबंधी सलाह प्राप्त कर सकते हैं और विभाग से समय-समय पर जारी होने वाले अपडेट आसानी से हासिल कर सकते हैं।


