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Sunday, November 30, 2025

जयपुर में चालकों की हड़ताल से 15 रूट ठप, लो-फ्लोर बस बंद होने से यात्री बेहाल

Newsजयपुर में चालकों की हड़ताल से 15 रूट ठप, लो-फ्लोर बस बंद होने से यात्री बेहाल

जयपुर में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था इन दिनों गंभीर रूप से प्रभावित है। बगराना डिपो के चालक अपनी मांगों को लेकर जारी हड़ताल से लौटने को तैयार नहीं हैं, जिसकी वजह से शहर के करीब 15 रूटों पर लो-फ्लोर बसों का संचालन ठप पड़ने की आशंका है। हालात ऐसे हैं कि हजारों यात्री रोजमर्रा की आवाजाही में भारी परेशानी झेल रहे हैं और शहर की यातायात व्यवस्था लगभग अस्त-व्यस्त होती दिखाई दे रही है।

200 बसों पर टिका जयपुर परिवहन

जयपुर में लो-फ्लोर बस सेवा पहले से ही सीमित है, और अब बगराना डिपो के चालक हड़ताल पर बने रहने से हालात और बिगड़ गए हैं। कुल 200 बसों में से 100 बसें पहले ही खड़ी हो चुकी हैं और कल भी इनके सड़क पर लौटने की संभावना नहीं है। पारस कंपनी और चालकों के बीच बातचीत बेनतीजा रहने के बाद हड़ताल को बढ़ाने का निर्णय लिया गया, जिसका सीधा असर आम यात्रियों पर पड़ रहा है। कामकाजी लोगों को अब महंगे ऑटो और कैब का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उनकी रोजमर्रा की यात्रा और जेब—दोनों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।

जयपुर में बुधवार को 15 रूटों पर बंद रहेंगी लो-फ्लोर बसें, चालकों की हड़ताल से चरमराई शहर की परिवहन व्यवस्था

टोडी डिपो की कंडम बसों का सहारा

शहर के 15 रूटों पर अब टोडी डिपो की बसें ही सहारा बनेंगी, लेकिन ये वाहन भी तकनीकी रूप से थक चुके हैं। अक्टूबर में इन 70 बसों को अनुपयोगी घोषित किया गया था, हालांकि बेड़े की कमी के कारण इन्हें छह महीने की अस्थायी राहत देकर चलाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में रास्ते में खराबी आना या दुर्घटना का जोखिम बना रहता है। साफ है कि यदि शहर प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो जयपुर की सार्वजनिक यातायात व्यवस्था किसी भी दिन पूरी तरह अव्यवस्थित हो सकती है।

शहर में लोग हो रहे परेशान

यह स्थिति इस मूल प्रश्न को सामने लाती है कि जयपुर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था आखिर किस आधार पर चल रही है। चालक अपनी माँगों को लेकर आंदोलनरत हैं, पर उसकी सीधी कीमत आम यात्रियों को चुकानी पड़ रही है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो यह गतिरोध और लंबा खिंच सकता है। शहर के लोगों को फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जबकि सभी की नज़र इस पर टिकी है कि बसें दोबारा सामान्य रूप से चलें और दैनिक सफर फिर सुगम हो सके।

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