चंडीगढ़, 25 मई (भाषा)कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने रविवार को कहा कि विपक्ष मांग कर रहा है कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाए और इससे पूरे विश्व को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एकजुटता का संदेश जाएगा।
पायलट ने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए, इस पर सरकार को देश और विपक्ष से जो समर्थन मिला है, वह अभूतपूर्व और बिना शर्त है। कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए तो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एकजुट आवाज उठेगी, जिससे दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ भारत की एकतजुटता का संदेश जाएगा।
पायलट ने रोहतक से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा के अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने संसद के विशेष सत्र की मांग की थी ताकि पूरी दुनिया में एक संदेश जाए कि पूरा भारत देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए एकजुट है… और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करने की इस लड़ाई में एकजुट है।’’
पायलट ने कहा कि बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल जो पहलगाम आतंकवादी हमले के मद्देनजर विभिन्न देशों का दौरा कर रहा है, यदि उन्हें भेजे जाने से पहले संसद का सत्र बुलाया गया होता तो उन्हें अपने विचार रखने के लिए और अधिक बल मिलता।
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट यहां ‘जय हिंद सभा’ के अवसर पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे। कांग्रेस सशस्त्र बलों की सर्वोच्च वीरता और सफलता को सलाम करने के लिए पूरे भारत में इस सभा का आयोजन कर रही है।
कांग्रेस महासचिव एवं संगठन प्रभारी के सी वेणुगोपाल ने हाल ही में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा था कि इन बैठकों में सेना के पूर्व सैनक, पार्टी नेता और आम जनता शामिल होगी।
पायलट ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद कांग्रेस ने सरकार को पूरा समर्थन दिया था ताकि इस कायराना घटना के दोषियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे।
उन्होंने कहा, ‘हम सभी को अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है, लेकिन मुझे दुख होता है जब मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह और हरियाणा से राज्यसभा सदस्य राम चंद्र जांगड़ा जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता हमारे बहादुर सैन्य अधिकारियों और पहलगाम हमले में शहीद हुए लोगों तथा उनके परिवारों के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं।’’
पायलट ने पूछा कि क्या भाजपा ऐसे नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी और उन्हें उनके पदों से हटाएगी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को खारिज नहीं किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को व्यापार के जरिए सुलझाया है और यह बात भारत सरकार के सर्वोच्च स्तर से आनी चाहिए।
पायलट ने कहा कि यह आठवीं बार है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष समाप्त करने में मदद की। उन्होंने सरकार से इस घोषणा पर ‘स्पष्टीकरण’ की भी मांग की।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि ‘संघर्षविराम’ की घोषणा कर दी गई है, लेकिन सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उसे यह आश्वासन दिया गया है कि पाकिस्तान भविष्य में कोई दुस्साहस नहीं करेगा।
पायलट ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रोके जाने पर सहमति की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि न तो अमेरिकी राष्ट्रपति, न ही उपराष्ट्रपति या अमेरिकी सरकार ने पूरे मामले में एक बार भी आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका सैन्य संघर्ष रुकवाने का श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है, लेकिन क्या उसने भारत को आश्वस्त किया? ये महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जिनका उत्तर दिया जाना चाहिए।
जब उनसे पूछा गया कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश के रूप में पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर बेनकाब करने के लिए भारत को और क्या करने की आवश्यकता है, तो कांग्रेस नेता ने इस्लामाबाद द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचनाओं और झूठे प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की आवश्यकता पर बल दिया।
पायलट ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त पुख्ता साक्ष्य हैं कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। पाकिस्तान सरकार की असली चाबी पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के पास है। उन्हें एहसास हो गया है कि परंपरागत रूप से वे भारत का मुकाबला नहीं कर सकते, लेकिन वे चीन की मदद से भारत को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। पहले उन्होंने पंजाब में लंबे समय तक आतंकवाद को प्रायोजित किया और अब कश्मीर में।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें और भी बहुत कुछ करना होगा क्योंकि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के प्रति जिस तरह की निंदा होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई है। मुझे यह भी लगता है कि हमें जो समर्थन मिल सकता था, वह नहीं मिला – उदाहरण के लिए हमें रूस का सीधा समर्थन नहीं मिला। जैसे चीन ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। हमारे कुछ पुराने मित्र और सहयोगी इतने आगे नहीं आए, यह ऐसी चीज है जिस पर हमें कूटनीतिक रूप से और पिछले दरवाजे से भी काम करना होगा।’’
भाषा धीरज नरेश
नरेश