नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने अपहरण और हत्या के प्रयास के अपराध में एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि सात वर्षीय बच्चे के शरीर पर ब्लेड से कई जगह काटने, पत्थर से उसके सिर पर कई बार वार करने और उसे खून से लथपथ हालत में मरने के लिए छोड़ देना ‘बर्बर मानसिकता’ को दर्शाता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत, मोहम्मद मोई उर्फ मोहित की सजा पर दलीलें सुन रहे थे।
मोहम्मद मोई को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 364 (हत्या करने के लिए अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने चार जून को दिए आदेश में कहा, “इस मामले में वर्तमान मामले में दोषी के अपराध को गंभीर बनाने वाले तत्व पीड़ित बच्चे की उम्र और अपराध को अंजाम देने का तरीका हैं। घटना के समय (2017 में) बच्चे की उम्र लगभग पांच से सात साल थी और दोषी ने बच्चे के सिर पर पत्थर से कई वार किए और बच्चे के शरीर को कई जगह ब्लेड से कई वार किये तथा उसके बाद बच्चे को घटनास्थल पर ही खून से लथपथ छोड़ दिया।”
अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि दोषी, जो खुद तीन बच्चों का पिता है, उसने कैसे इतने क्रूर तरीके से बच्चे की हत्या करने की कोशिश की। अदालत ने कहा, “बच्चे के चेहरे, कंधे, हाथ, पैर आदि पर ब्लेड से वार करना दोषी की बर्बर मानसिकता को दर्शाता है और यह अपराध की जघन्यता को भी दर्शाता है।”
जब बच्चे को अंतिम सुनवाई के लिए अदालत में बुलाया गया, तब घटना के लगभग आठ साल बाद भी, वह दोषी से डरता था और उसे डर था कि वह आकर उसे चोट पहुंचा सकता है।
अदालत ने कहा कि दोषी के डर के कारण पीड़ित लगातार अदालत में रो रहा था।
अदालत ने कहा कि दोषी अपनी खराब वित्तीय स्थिति और अपने बच्चों के भविष्य की संभावनाओं के आधार पर नरमी का हकदार नहीं है और उसे ‘कड़ी सजा’ दी जानी चाहिए।
अदालत ने दोषी को अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
भाषा
जितेंद्र दिलीप
दिलीप