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Friday, August 22, 2025

कमल हासन ने हिंदी थोपे जाने के मुद्दे पर कहा, ‘बिना थोपे हम सीख लेंगे’’

Newsकमल हासन ने हिंदी थोपे जाने के मुद्दे पर कहा, ‘बिना थोपे हम सीख लेंगे'’

नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) अभिनेता कमल हसन ने दक्षिण भारत के राज्यों पर हिंदी थोपे जाने के सवाल पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर पंजाब, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के साथ हैं।

हासन की इस हफ्ते ‘ठग लाइफ’ फिल्म प्रदर्शित हुई है जोकि उनके 65 साल के करियर की 234वीं फिल्म है।

हासन की तमिल से कन्नड़ भाषा की उत्पत्ति वाली टिप्पणी को लेकर उठे विवादों के बीच ‘ठग लाइफ’ सिनेमाघरों में आई है। अपनी टिप्पणी को लेकर हासन ने माफी मांगने से इनकार कर दिया और ‘ठग लाइफ’ कर्नाटक में प्रदर्शित नहीं हुई।

हासन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार के दौरान कहा, ” मैं ‘एक दूजे के लिए’ का अभिनेता हूं।”

हासन अपनी 1981 की लोकप्रिय हिंदी फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ का संदर्भ दे रहे थे, जो एक तमिल लड़के और हिंदी बोलने वाली लड़की की प्रेम कहानी पर आधारित है।

अभिनेता ने कहा, “बिना थोपे हम सीख लेंगे। थोपें नहीं, क्योंकि यह शिक्षा का मामला है और हमें शिक्षा के लिए सबसे छोटा रास्ता अपनाना चाहिए … न कि उसमें बाधाएं खड़ी करनी चाहिए।”

हासन तमिलनाडु से ताल्लुक रखते हैं, जहां सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) लंबे समय से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत लागू की गई तीन-भाषा नीति का विरोध कर रही है।

पार्टी ने बार-बार भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार पर ‘हिंदी थोपने’ का प्रयास करने का आरोप लगाया है, जिसका केंद्र ने खंडन किया है।

सत्तर वर्षीय अभिनेता ने जोर देकर कहा कि किसी एक विशेष भाषा को थोपना सीखने की प्रक्रिया में सिर्फ बाधा उत्पन्न करता है।

उन्होंने कहा, “मैं पंजाब के साथ खड़ा हूं। मैं कर्नाटक के साथ खड़ा हूं। मैं आंध्र के साथ खड़ा हूं। यह एकमात्र राज्य नहीं है जो भाषा को अनिवार्य करने की प्रक्रिया का विरोध कर रहा है।”

दक्षिण के साथ-साथ उत्तर में भी लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के दिग्गज हासन ने ‘नायकन’, ‘थेवर मगन’, ‘सदमा’, ‘सागर’ और ‘चाची 420’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है जिन्होंने भाषाई दूरी को पाटने का काम किया। उन्होंने कहा कि यदि आप वास्तव में ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता” हासिल करना चाहते हैं, तो आपको एक भाषा अवश्य सीखनी चाहिए।

हासन ने कहा, ‘और अंग्रेज़ी मुझे बेहद उपयुक्त लगती है। आप स्पैनिश या चीनी भी सीख सकते हैं।…लेकिन हमारे पास अंग्रेज़ी शिक्षा की 350 वर्षों की विरासत है, धीरे-धीरे, लेकिन निरंतर। इसलिए जब आप अचानक इसे बदल देते हैं, तो सब कुछ फिर से शुरू हो जाता है। आप अनावश्यक रूप से बहुत से लोगों को निरक्षर बना देते हैं, खासकर तमिलनाडु में।’

हासन ने कहा, “आप अचानक सभी को हिंदी में बोलने के लिए मजबूर करते हैं और आप उन्हें बताते हैं कि विंध्य के पार आपको नौकरी नहीं मिलेगी, फिर आप सोचने लगते हैं, वादों का क्या? मेरी भाषा का क्या? क्या मैं 22 (आधिकारिक भाषाओं) में से एक नहीं हूं? ये वे सवाल हैं जो सामने आ रहे हैं।”

तमिल देश की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है, इसके अलावा असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी भी हैं।

भाषा जितेंद्र पवनेश

पवनेश

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