वाशिंगटन, सात जून (एपी) अमेरिका में प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करने के लिए, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान एक नया विचार प्रस्तुत किया था कि यदि वह निर्वाचित हुए, तो वह अमेरिकी कॉलेजों से स्नातक करने वाले सभी विदेशी छात्रों को ‘ग्रीन कार्ड’ प्रदान करेंगे।
ट्रंप ने पिछले साल जून में एक पॉडकास्ट साक्षात्कार के दौरान कहा था, ‘‘यह बहुत दुखद है जब हम हार्वर्ड, एमआईटी और बेहतरीन स्कूलों के लोगों को खो देते हैं।’’
विदेशी छात्रों का कहना है हालांकि उनका यह वादा कभी पूरा नहीं हुआ और विदेशी छात्रों के स्वागत के मामले में ट्रंप का रुख नाटकीय रूप से बदल गया है।
विदेशी छात्र स्वयं को उस अभियान के केंद्र में पाते हैं, जिसके तहत उन्हें बाहर निकालने या आने से रोका जा रहा है, क्योंकि उनका प्रशासन उच्च शिक्षा को नया स्वरूप देने के प्रयास के साथ आव्रजन पर नकेल कस रहा है।
विदेशी छात्रों का कहना है कि उन्हें कई मोर्चों पर निशाना बनाया जा रहा है। बुधवार की देर शाम ट्रंप ने खुद अंतरराष्ट्रीय छात्रों के खिलाफ एक नयी कार्रवाई करते हुए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें हार्वर्ड में पढ़ने के लिए लगभग सभी विदेशियों के देश में प्रवेश पर रोक लगा दी गई। अगले दिन एक संघीय न्यायाधीश ने अस्थायी रूप से इस आदेश पर रोक लगा दी थी।
साक्षात्कारों में दुनियाभर के छात्रों ने बताया कि आज अमेरिका में एक अंतरराष्ट्रीय छात्र होने पर उन्हें कैसा महसूस होता है।
इन विदेशी छात्रों का कहना है कि उनके अनुभव भय, चिंता और असुरक्षा की व्यापक भावनाओं को उजागर करते हैं, जिसके कारण वे अपने दैनिक जीवन में अधिक सतर्क हो गए हैं और स्कूली काम से उनका ध्यान हट गया है।
ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी-इडाहो के छात्र मार्कस साउले हाल में लातविया स्थित अपने घर लौटे और पूरी उड़ान के दौरान वह घबराहट में रहे।
लातविया में हाई स्कूल में पढ़ते समय, उन्होंने अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा वित्तपोषित एक प्रतिस्पर्धी, योग्यता-आधारित विनिमय कार्यक्रम के लिए अर्हता प्राप्त की। उन्होंने मिनेसोटा में हाई स्कूल में एक साल बिताया, जहां उन्हें अमेरिका और अपनी एक सहपाठी से प्यार हो गया।
साउले का कहना है कि लेकिन अब उनके सपने चकनाचूर हो गये।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपने मुझसे 2024 के अंत में यह पूछा होता कि मेरी क्या योजनाएं हैं, तो मेरी योजनाएं शादी करने, यहां अमेरिका में एक बढ़िया नौकरी खोजने और एक परिवार शुरू करने की होतीं।’’
पिछले जून में पॉडकास्ट ‘‘ऑल-इन’’ पर दिए गए साक्षात्कार में ट्रंप ने दुनिया के शीर्ष छात्रों को आकर्षित करने को लेकर चिंता जताई थी। ट्रंप से पूछा गया कि क्या आप वादा कर सकते हैं कि कंपनियों को ‘‘सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली’’ छात्रों को आकर्षित करने की अधिक क्षमता दी जाएगी?
ट्रंप ने जवाब दिया था, ‘‘मैं वादा करता हूं।’’ उन्होंने कहा था कि कॉलेज या स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले किसी भी विदेशी छात्र को डिप्लोमा के साथ ‘ग्रीन कार्ड’ दिए जाएंगे।
अगर ट्रंप ने उस वादे को पूरा किया होता, तो भौतिकी के 24 वर्षीय भारतीय छात्र एवी को वह सब कुछ खोने का डर नहीं होता, जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है।
एरिजोना में छह साल बिताने के बाद एवी को अमेरिका दूसरे घर जैसा लगता है। एवी ने कॉलेज में पढ़ाई की और अब इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे हैं।
एवी ने कहा कि वह अमेरिका में ही रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत और अन्य स्थानों पर नौकरियों की सूची देखने में बहुत समय बिताता हूं।’’
एपी
देवेंद्र दिलीप
दिलीप