हाईकोर्ट का सरकार को आदेश: शिक्षा सचिव को खुद पेश होने को कहा
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल फीस विवादों के निवारण के लिए रिव्यू कमेटी (पुनरीक्षण समिति) का गठन नहीं करने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के सचिव को 20 मई (सोमवार) को व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आदेश दिया है।
अधिनियम बना लेकिन अमल नहीं: 2016 से अब तक रिव्यू कमेटी का गठन नहीं
राजस्थान में स्कूल फीस नियमन अधिनियम, 2016 को लागू हुए कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक अधिनियम की धारा 10 के तहत रिव्यू कमेटी का गठन नहीं किया गया है। यह कमेटी ज़िला शुल्क नियामक समिति द्वारा लिए गए फैसलों के खिलाफ अपील सुनने के लिए जरूरी है।
याचिकाकर्ता की दलील: अभिभावकों और स्कूलों को हो रही असुविधा
याचिकाकर्ता स्कूल की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कसलीवाल ने अदालत में तर्क दिया कि समिति का गठन न होने से अभिभावकों और स्कूल प्रशासन को अपने विवादों के निपटारे का कोई मंच नहीं मिल पा रहा है। इससे पारदर्शिता और न्याय प्रक्रिया दोनों प्रभावित हो रही हैं।
सरकार का पुराना वादा अधूरा: जून 2024 तक समिति बनाने का था आश्वासन
राज्य सरकार ने मई 2024 में हाईकोर्ट को आश्वस्त किया था कि 15 जून 2024 तक समिति का गठन कर लिया जाएगा। लेकिन अदालत को यह सूचित किया गया कि अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
कोर्ट का सख्त रुख: देरी के कारणों पर मांगा शपथ पत्र
जस्टिस अनुप के. ढंड की एकल पीठ ने सरकार से समिति गठन में देरी के कारणों पर शपथ पत्र देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले को जनता के हित से जुड़ा हुआ मानते हुए सरकार को फटकार लगाई और जल्द समाधान की मांग की है।
राजस्थान हाईकोर्ट की यह सख्ती एक बार फिर दर्शाती है कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को लेकर सरकार कितनी गंभीर है। अगर समय पर रिव्यू कमेटी का गठन नहीं किया गया तो इसका प्रभाव हजारों स्कूलों और लाखों अभिभावकों पर पड़ेगा।