एम्स जोधपुर: ट्रॉमा और क्रिटिकल केयर ब्लॉक की डिज़ाइन में गंभीर खामियां, आपात सेवाओं पर पड़ सकता है नकारात्मक असर
पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख चिकित्सा संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर में करोड़ों रुपये की लागत से निर्माणाधीन ट्रॉमा और क्रिटिकल केयर ब्लॉक (CCB) की डिज़ाइन और कार्यान्वयन में कई अहम व्यवहारिक खामियां सामने आई हैं। ये खामियां संस्थान की कार्यक्षमता, आपातकालीन सेवाओं और भविष्य में विस्तार की संभावनाओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।
आपदा प्रबंधन के लिए कोई पृथक ज़ोन नहीं
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) और एम्स प्रशासन से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भवन की डिज़ाइन में आपदा या बड़े हादसे की स्थिति में बड़ी संख्या में घायलों के समुचित उपचार हेतु कोई पृथक डिज़ास्टर ज़ोन शामिल नहीं है। ऐसे में किसी बड़ी आपदा के समय व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमराने की आशंका है।
ब्लड बैंक और लैब की अनुपलब्धता से बढ़ेगा जोखिम
इस परियोजना की सबसे चिंताजनक कमियों में से एक यह है कि ब्लड बैंक के लिए भवन में कोई स्थान तय नहीं किया गया है। मौजूदा ब्लड बैंक की दूरी के चलते गंभीर मरीजों को ‘गोल्डन ऑवर’ के भीतर रक्त उपलब्ध कराने में देरी हो सकती है। इसके साथ ही, इमरजेंसी जांचों के लिए प्रयोगशाला की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे इलाज में अनावश्यक विलंब होगा।
परिजनों के लिए प्रतीक्षालय भी नहीं
सूत्रों के अनुसार, भवन में मरीजों के परिजनों के लिए प्रतीक्षालय जैसी बुनियादी सुविधा का प्रावधान नहीं है। एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान में यह न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अनुचित माना जा रहा है।
मेडिकल और सर्जिकल स्टोर की कमी
पूर्व सर्जरी विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च भार वाले ट्रॉमा सेंटर की प्रभावी कार्यप्रणाली के लिए ऑपरेशन थिएटर और इमरजेंसी यूनिट के पास इम्प्लांट, स्प्लिंट और कंज्यूमेबल्स जैसी सामग्री के लिए समर्पित स्टोर की व्यवस्था अनिवार्य होती है। लेकिन इस डिजाइन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
भविष्य में विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं
अभियंताओं का कहना है कि भवन के चारों ओर पहले से निर्मित इकाइयों के चलते भविष्य में किसी भी तरह का विस्तार संरचनात्मक रूप से असंभव हो जाएगा। इसलिए यह ज़रूरी था कि सभी आवश्यक सुविधाएं पहले चरण में ही सुनिश्चित की जातीं।
चेतावनी के बावजूद नहीं हुआ सुधार
सूत्रों का यह भी दावा है कि एम्स के एक पूर्व अधिकारी ने इन ज़रूरी सुविधाओं को डिजाइन में शामिल कराने हेतु कार्यकारी निदेशक को पत्र लिखकर औपचारिक अनुरोध किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।