जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू की, और 7 अगस्त से नामांकन का दौर चल रहा है। 11 अगस्त को जलालुद्दीन ने अपना पर्चा भरा और 15,000 रुपये शुल्क जमा किया। दिलचस्प बात यह है कि वे जानते हैं कि उनका नामांकन रद्द हो जाएगा, लेकिन उनका कहना है—उन्हें चुनाव लड़ने का शौक है और वे हर बार कोशिश करते हैं।
जलालुद्दीन का “चुनावी सफर” भी अनोखा है
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2009: आसूतर बांधा पंचायत से वार्ड पंच का चुनाव लड़ा।
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2013: विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन कराया (बाद में वापस ले लिया)।
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2014: लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन कराया (बाद में वापस ले लिया)।
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छात्र संघ चुनाव में भी भाग लेने की कोशिश की, लेकिन उम्र अधिक होने के कारण पर्चा दाखिल नहीं कर पाए।
फिलहाल वे हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जयपुर में पढ़ाई कर रहे हैं।
उनकी उम्मीदवारी राजनीतिक जीत से ज्यादा, एक तरह की शौकिया लोकतांत्रिक यात्रा लगती है।
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Q. जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन कब और कितना शुल्क देकर किया?
Ans. जलालुद्दीन ने 11 अगस्त को नामांकन किया और 15,000 रुपये शुल्क जमा किया।
Q. जलालुद्दीन का कहना है कि वे जानते हैं कि उनका नामांकन क्यों रद्द होगा, फिर भी वे क्यों चुनाव लड़ते हैं?
Ans. वे जानते हैं कि उनका नामांकन रद्द हो जाएगा, लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने का शौक है और वे हर बार कोशिश करते हैं।
Q. जलालुद्दीन ने 2009, 2013 और 2014 में किन-किन चुनावों में भाग लेने की कोशिश की?
Ans. 2009 में आसूतर बांधा पंचायत से वार्ड पंच का चुनाव लड़ा, 2013 में विधानसभा चुनाव और 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन कराया (दोनों बाद में वापस ले लिए)।
Q. फिलहाल जलालुद्दीन कहाँ पढ़ाई कर रहे हैं?
Ans. वे फिलहाल हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जयपुर में पढ़ाई कर रहे हैं।