जन्माष्टमी के अवसर पर नाथद्वारा में ठाकुरजी के भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। वैष्णव संप्रदाय के प्रधान पीठ श्रीनाथजी मंदिर में उत्सव का उल्लास स्पष्ट झलक रहा है। आज आधी रात को श्रीकृष्ण जन्म का स्वागत रसाल चौक में 21 तोपों की सलामी के साथ होगा। इसी के साथ ठाकुरजी के जन्मोत्सव की औपचारिक शुरुआत होगी।
रात्रि में ठाकुरजी को पंचामृत स्नान के बाद विशेष श्रृंगार से सजाया जाएगा और रविवार, 17 अगस्त को नंद महोत्सव का आयोजन होगा। नंद महोत्सव में ठाकुरजी को सोने के पालने में झुलाया जाएगा। दूध, दही और केसर से तैयार पंचामृत भक्तों पर प्रसाद स्वरूप उछाला जाएगा। पूरा नगर ‘हाथी-घोड़ा-पालकी, जय कन्हैया लाल की’ और ‘नंद घर आनंद भयो’ के जयकारों से गूंजेगा।
भीड़ और सुरक्षा प्रबंध
भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर मंडल ने व्यापक इंतज़ाम किए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने पहले ही व्यवस्थाओं का जायजा लेकर मंदिर कर्मचारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।
आस्था से अर्थव्यवस्था तक
आस्था का यह पर्व स्थानीय व्यापार और पर्यटन के लिए भी बड़ी उम्मीदें लेकर आता है। लाखों श्रद्धालुओं की आमद के चलते नाथद्वारा के होटल, धर्मशालाएं और परिवहन साधन पूरी तरह बुक हो चुके हैं। भीड़ का सीधा लाभ स्थानीय दुकानदारों, ठेलेवालों और व्यापारियों तक पहुँचता है। त्योहार के इन दो दिनों में नाथद्वारा का बाजार आर्थिक दृष्टि से भी बूम पर रहता है।
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Q. नाथद्वारा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण क्या है?
Ans. आधी रात को रसाल चौक में 21 तोपों की सलामी के साथ श्रीकृष्ण जन्म का स्वागत और ठाकुरजी का पंचामृत स्नान व विशेष श्रृंगार मुख्य आकर्षण हैं।
Q. नंद महोत्सव में ठाकुरजी को किस प्रकार श्रद्धापूर्वक झुलाया जाता है?
Ans. ठाकुरजी को सोने के पालने में झुलाया जाता है और पंचामृत भक्तों पर प्रसाद स्वरूप उछाला जाता है।
Q. जन्माष्टमी के अवसर पर नाथद्वारा की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है?
Ans. लाखों श्रद्धालुओं की आमद से होटल, धर्मशालाएं और परिवहन साधन पूरी तरह बुक हो जाते हैं और स्थानीय दुकानदारों व व्यापारियों को सीधा आर्थिक लाभ मिलता है।