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Tuesday, August 26, 2025

पूर्व मंत्री महेश जोशी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, जमानत याचिका खारिज

Fast Newsपूर्व मंत्री महेश जोशी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, जमानत याचिका खारिज

जयपुर। पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनकी जमानत याचिका को जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने इससे पहले 8 अगस्त को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

ईडी ने महेश जोशी को 24 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया था। उन पर जल जीवन मिशन की टेंडर प्रक्रिया में रिश्वत लेने और धन शोधन में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं। गिरफ्तारी के बाद से ही वे जेल में बंद हैं। ईडी मामलों की विशेष अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद जोशी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन यहां से भी उन्हें राहत नहीं मिल सकी। इस फैसले के बाद महेश जोशी को अभी जेल में ही रहना होगा, वहीं ईडी की जांच इस मामले में आगे बढ़ रही है।

राजनीतिक दबाव में फंसाए गए महेश जोशी

महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेकराज बाजवा ने अदालत में बहस करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक दबाव में फंसाया गया है। एसीबी द्वारा दर्ज मूल केस में जोशी का नाम तक नहीं है। इसके बावजूद एक साल पुराने नोटिस के आधार पर अचानक गिरफ्तारी कर ली गई। बाजवा ने यह भी दलील दी कि ईडी ने महेश जोशी पर 2.01 करोड़ रुपए के लेन-देन का आरोप लगाया है, लेकिन इस संबंध में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया गया है।

यह रकम लोन थी, रिश्वत नहीं

वरिष्ठ अधिवक्ता विवेकराज बाजवा ने अदालत में दलील दी कि ईडी ने जोशी के बेटे की कंपनी में 50 लाख रुपए का लेन-देन अपराध का हिस्सा बताया है। जबकि हकीकत यह है कि यह रकम एक लोन के तौर पर ली गई थी और बाद में लौटा भी दी गई। ऐसे में इसे अपराध का हिस्सा नहीं माना जा सकता।

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“पैसा लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती”

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से अधिवक्ता अक्षय भारद्वाज ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि महेश जोशी ने विभाग की टेंडर प्रक्रिया में रिश्वत ली थी। उनके बेटे की कंपनी में 50 लाख रुपए का लेन-देन हुआ है, जिसे लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती।

जमानत तभी संभव जब आरोपी निर्दोष 

ईडी ने दलील दी कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के तहत आरोपी को तभी जमानत दी जा सकती है जब यह स्पष्ट हो कि वह अपराध में शामिल नहीं है। अगर महेश जोशी को जमानत दी जाती है तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इन्हीं आधारों पर अदालत ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

1. महेश जोशी को कब और क्यों गिरफ्तार किया गया था?

ईडी ने महेश जोशी को 24 अप्रैल 2024 को जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। उन पर टेंडर प्रक्रिया में रिश्वत लेने और धन शोधन में शामिल होने के आरोप हैं।

2. हाईकोर्ट ने उनकी जमानत क्यों खारिज की?

अदालत ने माना कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के तहत जमानत तभी दी जा सकती है जब आरोपी की संलिप्तता न हो। साथ ही यह आशंका जताई गई कि जमानत मिलने पर महेश जोशी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

3. बचाव पक्ष ने अदालत में क्या दलील दी?

महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेकराज बाजवा ने कहा कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक दबाव में फंसाया गया है।

4. जोशी के बेटे की कंपनी से जुड़ा विवाद क्या है?

ईडी ने आरोप लगाया कि जोशी के बेटे की कंपनी में 50 लाख रुपए का लेन-देन हुआ है। जबकि बचाव पक्ष का कहना है कि यह एक लोन था, जो बाद में लौटा दिया गया और इसे अपराध का हिस्सा नहीं माना जा सकता।

5. आगे महेश जोशी के लिए क्या विकल्प बचे हैं?

हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद महेश जोशी अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं। तब तक उन्हें जेल में ही रहना होगा, जबकि ईडी की जांच जारी रहेगी।

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