सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान के चर्चित नागौर हिंसा मामले में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला वर्ष 2019 में नागौर जिले की बंजारों की ढानियों में हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिष्णोई की पीठ ने सुनवाई करते हुए पूछा कि क्या राज्य सरकार अब भी अपने उस आवेदन पर कायम है, जिसमें 2021 में तत्कालीन सरकार ने दो पूर्व विधायकों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की मांग की थी।
यह मामला तत्कालीन भोपालगढ़ विधायक पुख़राज गर्ग और मेड़ता विधायक इंदिरा बावरी से जुड़ा है। दोनों पर हिंसा के दौरान भीड़ को भड़काने का आरोप था। राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में अभियोजन वापसी का आवेदन दिया था, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से साफ-साफ जवाब मांगा है कि क्या वह अपने पुराने रुख पर कायम है या नहीं।
क्या है पूरा मामला
राजस्थान के नागौर जिले में 25 अगस्त 2019 को हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान बड़ा बवाल हो गया था। आरोप है कि स्थानीय नेताओं के उकसावे पर भीड़ ने प्रशासन और पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। इस हिंसा में जेसीबी चालक फारूक खान की मौत हो गई थी। घटना के बाद भोपालगढ़ से तत्कालीन विधायक पुखराज गर्ग और मेड़ता से तत्कालीन विधायक इंदिरा बावरी समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। एफआईआर में दंगा, आपराधिक साजिश और हत्या जैसी गंभीर धाराएँ लगाई गई थी।
जानकारी के मुताबिक, 17 फरवरी 2021 को राज्य की समिति ने दोनों विधायकों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की सिफारिश की थी। इसके बाद 20 फरवरी 2021 को सरकार ने CrPC की धारा 321 के तहत अभियोजन वापसी के लिए आवेदन दायर करने का आदेश दिया। यह आवेदन 26 फरवरी 2021 को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। 3 जून 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अन्य आरोपी देवा राम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार के इस वापसी आदेश को रद्द कर दिया। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
क्या अब भी कायम है अभियोजन वापसी पर?
आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा से सवाल किया कि क्या राज्य सरकार अब भी अभियोजन वापसी के अपने फैसले पर कायम है। कोर्ट ने साफ किया कि सरकार को इस पर अपना अंतिम रुख स्पष्ट करना होगा। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है, ताकि वह इस फैसले की समीक्षा कर जवाब दाखिल कर सके। अब मामला दो सप्ताह बाद फिर से सुनवाई की जाएगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या विधायकों के खिलाफ मुकदमा वापसी का निर्णय सही था या नहीं।
Q1. नागौर हिंसा मामला क्या है?
अगस्त 2019 में नागौर जिले की बंजारों की ढानियों में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। आरोप है कि स्थानीय नेताओं के उकसावे पर भीड़ ने प्रशासन और पुलिस पर हमला कर दिया था। इस घटना में जेसीबी चालक फारूक खान की मौत हो गई थी।
Q2. इस मामले में किन नेताओं के खिलाफ आरोप लगे?
तत्कालीन भोपालगढ़ विधायक पुख़राज गर्ग और मेड़ता विधायक इंदिरा बावरी पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा था। इनके खिलाफ दंगा, आपराधिक साजिश और हत्या जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ था।
Q3. राज्य सरकार ने मुकदमा वापसी का फैसला कब लिया था?
17 फरवरी 2021 को राज्य की समिति ने मुकदमा वापसी की सिफारिश की थी। इसके बाद 20 फरवरी 2021 को सरकार ने CrPC की धारा 321 के तहत आवेदन दायर करने का आदेश दिया, जिसे 26 फरवरी 2021 को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।
Q4. राजस्थान हाईकोर्ट ने इस फैसले पर क्या रुख अपनाया?
3 जून 2021 को हाईकोर्ट ने एक अन्य आरोपी देवा राम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अभियोजन वापसी आदेश को रद्द कर दिया।
Q5. सुप्रीम कोर्ट ने अभी क्या निर्देश दिए हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वह अब भी मुकदमा वापसी के अपने फैसले पर कायम है। कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है कि वह इस पर अंतिम रुख स्पष्ट करे। अब अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।