शिमला, 26 मई (भाषा) हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले के सलकोह गांव के किसानों को दो साल पहले विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित 4.76 करोड़ रुपये की चेक डैम परियोजना के पूरा होने के बावजूद सिंचाई के लिए पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
यह परियोजना श्रीराम गरेली खड्ड जल उपभोक्ता समूह (जल उपयोगकर्ता समिति) भडवार-1 योजना के तहत शुरू की गई थी।
बागवानी विकास परियोजना के तहत 200 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई करने और 360 किसानों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन निराश ग्रामीणों का कहना है कि उनके खेतों तक पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंची है।
विकसित किए गए बुनियादी ढांचे में 13 लाख लीटर की भंडारण क्षमता वाली छह पानी की टंकियां और पाइपलाइनें शामिल हैं। हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि टैंकों को केवल एक बार परीक्षण के लिए भरा गया था और तब से वे सूखे पड़े हैं।
स्थानीय निवासी करम सिंह ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैंने परियोजना के लिए अपनी भूमि दी थी, लेकिन न तो मुझे मुआवजा मिला और न ही पानी।’
स्थानीय लोगों का आरोप है कि चेक डैम का निर्माण घटिया तरीके से किया गया था, जिसके कुछ हिस्से पहली ही बारिश में ढह गए। साथ ही, उन्होंने यह भी दावा किया कि जिन दो गांवों के लिए पाइपलाइन बिछाई गई थी, उन्हें बिना किसी जवाबदेही के कहीं और मोड़ दिया गया, जिससे उन्हें आज तक सिंचाई का लाभ नहीं मिल पाया।
प्रभावित किसान अब इस मामले की सरकारी जांच की मांग कर रहे हैं।
बागवानी विभाग के अधिकारी सुरेन्द्र सिंह राणा ने बताया कि बांध को जुलाई 2024 में जल उपयोगकर्ता समिति को सौंप दिया गया है और अब वह इसके संचालन और वित्त के लिए जिम्मेदार हैं।
इस बीच, समिति के अधिकारियों ने वित्त पोषण संबंधी समस्याओं का हवाला दिया है और सुझाव दिया है कि परियोजना को सिंचाई एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित किया जा सकता है।
भाषा योगेश नरेश
नरेश