नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) शिकॉगो एक्सचेंज आज बंद रहने तथा मलेशिया एक्सचेंज में घट-बढ़ के बीच कारोबारी मांग प्रभावित रहने से सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं मांग बढ़ने और आवक कमजोर रहने से सरसों तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया। मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्ववत बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज आज बंद था लेकिन मलेशिया एक्सचेंज में दोपहर तेजी रहने के बाद फिलहाल मंदा रुख है। ग्राहकों की मांग थोड़ा कमजोर रहने से सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। विश्व के तेल-तिलहन बाजार का रुख मुख्य रूप से शिकॉगो एक्सचेंज से प्रभावित रहता है। मलेशिया एक्सचेंज में जारी घट-बढ़ के बीच सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में भी गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि वैसे पाम-पामोलीन तेल के दाम कुछ समय पहले के मुकाबले काफी घटे हैं लेकिन मौजूदा भाव भी अब भी ऊंचा है और खपने के लिए इसे और कम होना होगा।
सूत्रों ने कहा कि कारोबारियों को, रविवार की छुट्टी के बाद, आज सरसों की आवक बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन आवक का स्तर कमजोर बना रहा। इस बार अज्ञात कारणों से किसानों की ओर से बाजार में सरसों की आवक कम यानी 4-5 लाख बोरी के बीच बनी हुई है। सरसों का हाजिर दाम, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक है लेकिन इसके बावजूद आवक कम हो रही है। आवक की कमी के साथ-साथ मांग बढ़ने के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में तेजी आई।
इस बीच, सूरजमुखी और सरसों के दाम महंगा होने से हल्के खाद्य तेलों में सोयाबीन की मांग रही है लेकिन आज लिवाली कमजोर रहने से सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
सूत्रों ने कहा कि सोपा जैसा तेल संगठन कम से कम सोयाबीन की दिक्कतों को लेकर चिंता जता रहे हैं पर मूंगफली को लेकर कोई बोलने वाला भी नहीं है। मूंगफली ऐसा बहुमूल्य तेल है जिसका विकल्प खोजना मुश्किल है और इसका देश निर्यात करता है। मगर इस बार जो दुर्गति मूंगफली किसानों की हो रही है वह एक खतरे का संकेत है। इसके मौजूदा थोक दाम एमएसपी से काफी कमजोर हैं मगर मौजूदा खुदरा हाजिर दाम आसमान छू रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस देश में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 55 प्रतिशत खाद्य तेल का आयात करना पड़ता हो, वहां तिलहन (मूंगफली, सोयाबीन आदि) किसानों की फसल खपना मुश्किल हो जाये और वाजिब दाम ना मिले, यह एक आश्चर्य की बात है। इस एक प्रश्न का स्थायी हल निकाला जाये तो तेल-तिलहन क्षेत्र की बहुत सारी समस्या हल हो जायेगी। संभवत: इसके लिए देशी तेल-तिलहन का बाजार बनाना और उसी के हिसाब से आयात-निर्यात की नीति तय करना अहम हो जायेगा। किसी जिम्मेदार संगठन या प्राधिकारियों को इस ओर ध्यान देना होगा तभी तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने का सपना पूरा किया जा सकता है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,650-6,735 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,800-6,175 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,175 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,490-2,590 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,490-2,625 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,525 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,400-4,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,150-4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय