कोलकाता, 26 मई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी कर्मचारी को लंबी और निरंतर सेवा के बाद मिलने वाली पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती।
न्यायमूर्ति गौरांग कंठ ने 23 मई के अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में देरी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कठिनाई होती है, जो जीविका के लिए इस बकाया राशि पर निर्भर होते हैं।
यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल के एक नगर निकाय की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा दायर याचिका के जवाब में आई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह 30 नवंबर, 2023 को सेवानिवृत्त हुईं और उनका अंतिम मासिक वेतन लगभग 40,000 रुपये था।
हालांकि, उनके पदनाम में विसंगतियों के कारण, उनके पक्ष में अभी तक कोई पेंशन स्वीकृत नहीं की गई है।
न्यायमूर्ति कंठ ने कहा कि न्यायालय वर्तमान स्थिति पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करने के लिए विवश है, जहां प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से अद्यतन डिजिटल अवसंरचना के परिणामस्वरूप संक्रमणकालीन अकुशलताएं उत्पन्न हो गई हैं, जिससे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए पेंशन लाभों को अंतिम रूप देने में अस्थायी रूप से बाधा उत्पन्न हो रही है।
आदेश में उन्होंने कहा कि न्यायालय सभी संबंधित पक्षों को यह याद दिलाना उचित समझता है कि पेंशन कोई दान का कार्य नहीं है, बल्कि यह कर्मचारियों द्वारा उनकी लंबी और समर्पित सेवा के परिणामस्वरूप अर्जित कानूनी रूप से लागू अधिकार है।
आदेश में आगे कहा गया है कि पेंशन के वितरण में किसी भी प्रकार की अनुचित देरी अस्वीकार्य है और यह समानता और न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
भाषा प्रशांत वैभव
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