नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) भारत ने सोमवार को स्वदेश विकसित एक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली का अनावरण किया, जिसका ‘स्थानिक रिजोल्यूशन’ 6 किमी है और यह विश्व में सर्वाधिक है। इससे अब मौसम विभाग को अधिक स्थानीयकृत एवं सटीक पूर्वानुमान जारी करने में सहायता मिलेगी।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) द्वारा विकसित भारत पूर्वानुमान प्रणाली (बीएफएस) इस मानसून से चालू हो जाएगी और भारत को मौसम पूर्वानुमान में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल कर देगी।
बीएफएस विश्व में एकमात्र वैश्विक संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली होगी जो इतने उच्च रिजोल्यूशन पर तैनात की जाएगी।
यूरोपीय, ब्रिटिश और अमेरिकी मौसम कार्यालयों द्वारा संचालित संख्यात्मक वैश्विक पूर्वानुमान मॉडल का रिजोल्यूशन 9 किमी से 14 किमी के बीच होता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा, ‘‘उष्णकटिबंधीय क्षेत्र मौसम के लिए अव्यवस्थित क्षेत्र है। मौसम के पैटर्न में परिवर्तन अप्रत्याशित है और स्थानिक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए उच्च रिजोल्यूशन मॉडल की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले हम चार गांवों के लिए एक पूर्वानुमान जारी करते थे। बीएफएस की मदद से हम चारों गांवों के लिए अलग-अलग पूर्वानुमान जारी कर सकेंगे।’’
सिंह ने कहा कि बीएफएस मानसून ट्रैकिंग, विमानन, चक्रवात निगरानी और आपदा प्रबंधन, कृषि, जलमार्ग, रक्षा और बाढ़ पूर्वानुमान को बढ़ावा देगा और प्रमुख मंत्रालयों को भी सहायता प्रदान करेगा।
रविचंद्रन ने कहा कि बीएफएस 6 किलोमीटर गुणा 6 किलोमीटर के ग्रिड में होने वाली संभावित मौसम संबंधी घटनाओं के बारे में जानकारी देता है, जबकि पहले के मॉडल 12 किलोमीटर के ग्रिड के लिए पूर्वानुमान देते थे।
उन्होंने कहा कि देश भर के 40 ‘डॉपलर’ मौसम रडारों के नेटवर्क से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग बीएफएस मॉडल को संचालित करने के लिए किया जाएगा, जिससे मौसम कार्यालय को अधिक स्थानीय पूर्वानुमान और वर्तमान पूर्वानुमान जारी करने में मदद मिलेगी।
बीएफएस 30 डिग्री दक्षिण और 30 डिग्री उत्तरी अक्षांशों के बीच आने वाले उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के लिए 6 किमी तक रिजोल्यूशन पूर्वानुमान प्रदान कर सकता है। भारत की मुख्य भूमि 8.4 डिग्री उत्तरी और 37.6 डिग्री उत्तरी अक्षांशों के बीच फैली हुई है।
भाषा सुभाष माधव
माधव