शिमला, 26 मई (भाषा) हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा एचपीपीसीएल इंजीनियर विमल नेगी की मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपे जाने के बाद एजेंसी ने शिमला पुलिस से इस संबंध में सभी रिकॉर्ड मांगे हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार विमल नेगी मौत की मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं करेगी।
इस मुद्दे पर हालांकि सत्तारूढ़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है।
हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता विमल नेगी 10 मार्च को लापता हो गए थे और उनका शव 18 मार्च को बिलासपुर जिले में मिला था।
नेगी की पत्नी किरण नेगी ने आरोप लगाया कि उनके (विमल नेगी के) वरिष्ठों ने उन्हें परेशान किया था। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की।
इस मामले के सामने आने से प्रदेश में राजनीतिक घमासान छिड़ गया था, जिसमें विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मामले को दबाने का आरोप लगाया था।
नेगी के परिवार ने शिमला में एचपीपीसीएल कार्यालय के बाहर उनके शव को रखकर विरोध प्रदर्शन किया था।
बाद में एचपीपीसीएल के निदेशक (विद्युत) देशराज और प्रबंध निदेशक हरिकेश मीना के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने और संयुक्त आपराधिक दायित्व का मामला दर्ज किया गया।
सीबीआई की स्थानीय इकाई ने नेगी की मौत के मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के प्रमुख और शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी को मामला सौंपने के लिए एक पत्र भेजा है।
सीबीआई ने पुलिस महानिदेशक को भी एक पत्र लिखा, जिसमें पुलिस अधीक्षक को सभी रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया।
शिमला के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जल्द ही रिकॉर्ड सौंप दिये जाएंगे। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा द्वारा स्थिति रिपोर्ट में जांच के ‘तौर-तरीकों ’ के बारे में ‘गंभीर चिंताएं’ जताए जाने पर गौर करते हुए शुक्रवार को आदेश दिया था कि मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाए।
राज्य की कांग्रेस सरकार ने नेगी की मौत के मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आदेश दिया कि मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाए।
सुक्खू ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हिमाचल प्रदेश सरकार विमल नेगी मौत मामले को सीबीआई को सौंपने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं करेगी और सीबीआई के साथ पूरा सहयोग करेगी, क्योंकि हम नेगी के परिवार के लिए न्याय चाहते हैं।”
मुख्यमंत्री ने हालांकि अदालत द्वारा जांच में राज्य कैडर के किसी भी अधिकारी को शामिल न करने की टिप्पणी पर नाखुशी जताई।
सुक्खू ने कहा, “मैं न्यायमूर्ति साहिब की इस टिप्पणी से सहमत नहीं हूं कि हिमाचल से कोई अधिकारी नहीं होना चाहिए।”
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि नेगी की मौत भ्रष्टाचार से जुड़ी है और इसमें मुख्यमंत्री के करीबी व्यक्ति का हाथ है।
ठाकुर ने घुमारवीं में पत्रकारों से कहा, “यही कारण है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद सरकार जानबूझकर इस मामले को सीबीआई को सौंपने से इनकार कर रही है। मुख्यमंत्री पहले दिन से ही झूठ बोल रहे हैं, यही कारण है कि पीड़ित परिवार को उन पर कोई भरोसा नहीं है।”
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर ने मुख्यमंत्री से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की।
भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने परिवार की सीबीआई जांच की मांग विधानसभा में उठाई थी।
ठाकुर ने कहा कि लेकिन मुख्यमंत्री ने सदन में भी झूठ बोला कि परिवार ऐसी कोई जांच नहीं चाहता और भाजपा पर राजनीति के कारण सीबीआई जांच की मांग करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा, “पीड़ित परिवार ने अब उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। हालांकि, सरकार और उसके अधिकारी अब भी अदालत के आदेश के बावजूद मामले को एजेंसी को न देने की हिम्मत रखते हैं।”
इस बीच, विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले को सीबीआई को सौंपने के उच्च न्यायालय के आदेश का तत्काल अनुपालन करने का अनुरोध किया।
किरण नेगी ने 23 मई को लिखे पत्र में कहा था, “मेरे संज्ञान में आया कि स्पष्ट निर्देश के बावजूद राज्य सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए अब तक आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं।”
सोमवार को व्यापक रूप से प्रसारित पत्र के मुताबिक, “इस तरह की देरी न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह न्यायालय की अवमानना का गंभीर कृत्य भी है, जो न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर करता है और न्याय की प्रक्रिया में बाधा डालता है। यह सार्वजनिक हित और अदालती कार्यवाही में उजागर किए गए संभावित लीपापोती के आरोपों को देखते हुए चिंताजनक है।”
शिमला के पुलिस अधीक्षक ने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान पुलिस महानिदेशक, उनके कर्मचारियों, मुख्य सचिव और पूर्व पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू पर गंभीर आरोप लगाए थे।
यह वाक्या उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के एक दिन बाद का है।
पुलिस महानिदेशक ने रविवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को पत्र लिखकर पुलिस अधीक्षक को ‘कदाचार और अवज्ञा’ का हवाला देते हुए निलंबित करने की सिफारिश की।
पुलिस महानिदेशक द्वारा भेजे गए पत्र के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि उन्होंने पत्र नहीं देखा लेकिन इस बात की जांच की जाएगी कि पत्र को मीडिया में किसने ‘लीक’ किया।
भाषा जितेंद्र वैभव
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