(तस्वीरों के साथ)
पहलगाम, 27 मई (भाषा) पहलगाम में मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल की विशेष बैठक के बाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पर्यटन को संघर्ष-निरपेक्ष होना चाहिए और इसे सामान्य स्थिति का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए।
यह बैठक यह स्पष्ट संदेश देने के लिए हुई कि सरकार ‘आतंकवाद की कायराना हरकतों से नहीं डरेगी।’
पहलगाम के बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद अपनी पहली प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री ने आतंकवादी हिंसा की स्पष्ट निंदा करने के लिए लोगों का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कश्मीर, विशेषकर पहलगाम के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और एक स्वर में इसके खिलाफ खड़े हुए। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं और उन्हें सलाम करता हूं।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके प्रशासन और केंद्र , विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पर्यटन क्षेत्र को समर्थन देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं जिन्होंने पिछले सप्ताह हितधारकों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘ मैं हाल में दिल्ली में था, जहां नीति आयोग की बैठक के दौरान मुझे प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिला। मैंने उन्हें जम्मू-कश्मीर में पर्यटन उद्योग की स्थिति से अवगत कराया और उन्होंने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।’’
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह केंद्रीय स्तर पर हुई बैठक में पर्यटन के पुनरुद्धार के लिए व्यापक रूपरेखा पर चर्चा की गई थी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने पहलगाम क्लब में हुई इस बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर डालीं।
मुख्यमंत्री ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पहली प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘यहां मंत्रिमंडल की बैठक हुई और सरकार के एजेंडे पर चर्चा हुई, लेकिन मंत्रिमंडल की बैठक यह दिखाने के लिए थी कि लोग आतंकवादी हिंसा से नहीं डरेंगे और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए हमारा संकल्प जारी रहेगा।’’
इस आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गयी थी जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर लिखा कि यह केवल एक नियमित प्रशासनिक कवायद नहीं थी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था – ‘‘हम आतंकवादियों के कायराना कृत्यों से नहीं डरते।’’
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा, ‘‘शांति के दुश्मन कभी भी हमारे संकल्प को प्रभावित नहीं कर सकेंगे। जम्मू-कश्मीर दृढ़, सशक्त और निडर है।’’
इस सरकार के कार्यकाल में यह पहली बार है जब मंत्रिमंडल की बैठक सामान्य ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर या शीतकालीन राजधानी जम्मू के बाहर हुई।
जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को पुनर्जीवित करने तथा पहलगाम के बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद विभिन्न पर्यटन स्थलों को बंद करने के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सरकार ‘एक-एक कदम’ उठा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच-छह सप्ताह देश के लिए, खासकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए कठिन रहे हैं। इसलिए मैं सुझाव दूंगा कि हम विभिन्न पर्यटन स्थलों का सुरक्षा ऑडिट करेंगे और धीरे-धीरे उन्हें खोलना शुरू करेंगे।’’
इस विशेष बैठक के वास्ते पहलगाम का चयन इस पर्यटन नगरी के निवासियों के साथ एकजुटता दर्शाने के लिए किया गया है, जहां 22 अप्रैल को भीषण आतंकी हमले के बाद से पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पर्यटन को संघर्ष-तटस्थ गतिविधि होना चाहिए और इसे सामान्य स्थिति का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। ऐसे कई अन्य तंत्र हैं जिनके माध्यम से हम शांति को माप सकते हैं। मैं हमेशा यह देखना चाहूंगा कि पर्यटन को संघर्ष से अलग रखा जाए और दुनिया इसे एक आर्थिक गतिविधि के रूप में देखे।’’
इस सवाल पर कि विभिन्न पक्षकारों पर भारी कर्ज है और क्या सरकार उन्हें कुछ राहत देने की योजना बना रही है, उन्होंने कहा, ‘‘पर्यटन को नुकसान हुआ है और सभी पक्षकार, चाहे वे बड़े हों या छोटे, को कुछ राहत देने के लिए संबंधित विभागों के साथ बातचीत चल रही है।’’
अधिकारियों ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक राष्ट्र विरोधी और असामाजिक तत्वों को यह सीधा संदेश देने की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है कि जम्मू और कश्मीर में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।
अब्दुल्ला ने 2009-14 के दौरान पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान उत्तरी कश्मीर के गुरेज, माछिल, तंगधार क्षेत्रों और जम्मू क्षेत्र के राजौरी और पुंछ क्षेत्रों जैसे दूरदराज के इलाकों में मंत्रिमंडल की बैठकें की थीं।
मंत्रिमंडल की आज की इस विशेष बैठक से तीन दिन पहले शनिवार को उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकवादी हमले से बुरी तरह प्रभावित जम्मू-कश्मीर पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने केंद्र से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कश्मीर में बैठकें आयोजित करने और संसदीय समितियों की बैठकें वहीं आयोजित करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में यह अपील की थी।
भाषा राजकुमार नरेश
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