30.2 C
Jaipur
Sunday, July 6, 2025

जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने दिल्ली मध्य-1 राजभाषा समिति की पहली बैठक की मेजबानी की

Newsजामिया मिल्लिया इस्लामिया ने दिल्ली मध्य-1 राजभाषा समिति की पहली बैठक की मेजबानी की

नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में कुलपति मजहर आसिफ की अध्यक्षता में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (एनएआरएकेएएस… नराकास), दिल्ली मध्य-1 (कार्यालय) की पहली बैठक आयोजित की गई।

गृह मंत्रालय द्वारा गठित नराकास समितियों का उद्देश्य केंद्र सरकार के कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और बैंकों में हिंदी के प्रगतिशील उपयोग को बढ़ावा देना और सामूहिक चर्चा के माध्यम से नीति कार्यान्वयन में कठिनाइयों को दूर करना है। ये समितियां केंद्र सरकार की संस्थाओं के लिए प्रगति की समीक्षा करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए मंच के रूप में कार्य करती हैं।

विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि सोमवार को आयोजित बैठक में दिल्ली मध्य-1 क्षेत्र में स्थित केंद्र सरकार के 109 कार्यालयों के राजभाषा अधिकारी और प्रमुख एक साथ आए।

बयान में कहा गया है कि चर्चा में आधिकारिक कामकाज में हिंदी का उपयोग बढ़ाने, राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के तहत आवश्यक द्विभाषी प्रारूप में दस्तावेज जारी करने और राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिक कार्यक्रम लक्ष्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

कार्यान्वयन उद्देश्यों के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ए, बी और सी क्षेत्रों में वर्गीकरण को भी स्पष्ट किया गया।

कार्यक्रम में गृह मंत्रालय के तहत राजभाषा विभाग के संयुक्त निदेशक कुमार पाल शर्मा ने माना कि नराकास समितियों की गतिविधियां लगभग दो वर्षों से निष्क्रिय रहीं। नए प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नेतृत्व हिंदी के प्रचार-प्रसार में नयी ऊर्जा का संचार करेगा।

अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर आसिफ ने भाषा, पहचान और संस्कृति के बीच गहरे अंतर्संबंध पर जोर दिया।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की विरासत और भारतीय भाषाओं के संरक्षण में इसकी भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग अपनी मां से प्यार करते हैं, वे अपनी मातृभाषा और अपनी मातृभूमि से भी प्यार करते हैं। ये तीनों अविभाज्य हैं।’’

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषाओं पर दिए गए जोर पर भी प्रकाश डाला, जिसके प्रारूपण और कार्यान्वयन के चरणों के दौरान वह भी इसका हिस्सा थे।

जामिया के रजिस्ट्रार महताब आलम रिजवी ने हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रति विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

उन्होंने याद किया कि महात्मा गांधी ने अपने बेटे देवदास गांधी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंदी पढ़ाने के लिए भेजा था।

हिंदी कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन में सहायता के लिए विश्वविद्यालय ने विभिन्न उप-समितियों का भी गठन किया है।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles