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Sunday, August 24, 2025

सिद्धरमैया ने उर्दू, कन्नड़ के वित्तपोषण पर ‘भ्रामक बातें’ फैलाने के लिए भाजपा की आलोचना की

Newsसिद्धरमैया ने उर्दू, कन्नड़ के वित्तपोषण पर ‘भ्रामक बातें’ फैलाने के लिए भाजपा की आलोचना की

बेंगलुरु, 28 मई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उर्दू, कन्नड़ के लिए वित्तपोषण के संदर्भ में ‘‘भ्रामक बातें’’ फैलाने का आरोप लगाया है।

भाजपा का आरोप है कि सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार कन्नड़ की उपेक्षा कर रही है और उर्दू के लिए अधिक धन आवंटित कर रही है।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को भाजपा के इन आरोपों को न केवल झूठ बताया बल्कि इसे सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए ‘‘जानबूझकर किया गया प्रयास’’ करार दिया।

उनकी यह टिप्पणी भाजपा की कर्नाटक इकाई द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह पोस्ट किए जाने के बाद आई है कि सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने 2025-26 में उर्दू को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि कन्नड़ के लिए केवल 32 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

सिद्धरमैया ने एक बयान में कहा, ‘‘कर्नाटक में भाजपा भ्रामक बातें फैला रही है कि हमारी सरकार कन्नड़ की उपेक्षा कर रही है और उर्दू का पक्ष ले रही है। यह न केवल सच्चाई से कोसों दूर है बल्कि यह सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक राष्ट्रीय पार्टी गैर-जिम्मेदार ‘इंटरनेट ट्रोल’ की तरह व्यवहार कर रही है और इस तरह की निराधार गलत बातें फैला रही है।’’

मुख्यमंत्री ने 2025 से 2026 के आवंटन का ब्योरा देते हुए कहा कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को 34,438 करोड़ रुपये और समाज कल्याण तथा अन्य विभागों के तहत स्कूलों को 4,150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कुल 38,688 करोड़ रुपये हैं, सभी कन्नड़-माध्यम से शिक्षा के लिए हैं। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों को बनाए रखने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 999.30 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। यह सब कन्नड़ शिक्षा का समर्थन करता है। इसलिए जब भाजपा दावा करती है कि कन्नड़ के लिए केवल 32 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, तो यह लोगों को गुमराह करने के लिए एक राजनीतिक झूठ है।’’

सिद्धरमैया ने स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत आवंटित 100 करोड़ रुपये का उद्देश्य उर्दू-माध्यम स्कूलों को बेहतर कक्षाओं, शिक्षकों, पाठ्यपुस्तकों और बुनियादी ढांचे के साथ उन्नत करना है।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा

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