(अनिल भट्ट)
जम्मू, 28 मई (भाषा) अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर एक पाकिस्तानी चौकी के बिल्कुल नजदीक स्थित सीमा चौकी की कमान संभालने वाली सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी ने जवानों का नेतृत्व करते हुए ‘जीरो लाइन’ के पार शत्रु की तीन अग्रिम चौकियों को मुंहतोड़ जवाब देकर खामोश कर दिया।
नेहा के अलावा छह महिला कांस्टेबल अग्रिम सीमा चौकी पर बंदूक थामे थीं और सांबा-आर एस पुरा-अखनूर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार दुश्मन के ठिकानों पर दागी गई हर गोली के साथ उनका ‘जोश’ बढ़ता जा रहा था।
उत्तराखंड में अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी की अधिकारी नेहा को बीएसएफ का हिस्सा होने और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू जिले के अखनूर सेक्टर के परगवाल अग्रिम क्षेत्र में एक सीमा चौकी की कमान संभालने पर गर्व है।
नेहा ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अपने सैनिकों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकी की कमान संभालते हुए गर्व महसूस करती हूं। यह अखनूर-पर्गवाल क्षेत्र में पाकिस्तानी चौकी से लगभग 150 मीटर की दूरी पर है।’’
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के समय चौकी की कमान संभालना वाकई बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा, ‘अग्रिम चौकी पर सेवा करना तथा अपनी चौकी से दुश्मन की चौकियों पर सभी उपलब्ध हथियारों के साथ मुंहतोड़ जवाब देना मेरे लिए सम्मान की बात थी।’
नेहा के दादा सेना में सेवारत थे, उनके माता-पिता केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में हैं, और वह परिवार में तीसरी पीढ़ी की अधिकारी हैं।
उन्होंने कहा, ‘मेरे दादा सेना में सेवारत थे। मेरे पिता सीआरपीएफ में थे। मेरी मां सीआरपीएफ में हैं। मैं बल में तीसरी पीढ़ी की अधिकारी हूं।’
उन्होंने कहा कि महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं और उन्होंने तीन दिनों तक चले टकारव के दौरान पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे साथ 18 से 19 महिला सीमा रक्षक थीं। छह महिलाएं निगरानी चौकियों पर पर गोलीबारी का जवाब दे रही थीं। हमें उन पर गर्व है।’’
नेहा ने ऑपरेशन के दौरान जम्मू सीमा पर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक अग्रिम चौकी की कमान संभालने वाली एकमात्र बीएसएफ महिला अधिकारी थीं।
अग्रिम चौकियों पर महिलाओं की भूमिका और पाकिस्तानी चौकियों पर गोलीबारी में उनकी भागीदारी की प्रशंसा करते हुए बीएसएफ के महानिरीक्षक शशांक आनंद ने कहा, ‘‘बीएसएफ की महिलाकर्मियों ने इस ऑपरेशन में शानदार भूमिका निभाई। हालांकि उनके पास बटालियन मुख्यालय में जाने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने अपने पुरुष समकक्षों के साथ अग्रिम चौकियों पर ही रहने का फैसला किया और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।’
आनंद ने कहा कि सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी समेत बीएसएफ की महिला कर्मियों ने अग्रिम चौकियों पर तैनात रहकर और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास दुश्मन के ठिकानों पर हमला करके अनुकरणीय साहस दिखाया।
उन्होंने कहा, ‘बीएसएफ की महिला सैनिकों ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश की संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति पर डटी रहीं।’
एक अग्रिम चौकी पर बंदूक ताने तैनात रहीं कांस्टेबल शंकरी दास ने कहा, ‘‘हमारी अपनी ड्यूटी थी। हम सीमा पर तैनात हैं, अपने कार्यों को हमेशा की तरह पूरा करते हैं। हमारे वरिष्ठ कमांडरों ने हमें स्थिति के बारे में जानकारी दी और चेतावनी दी कि गोलीबारी हो सकती है। हमें गोली का जवाब गोली से देने का निर्देश दिया गया था। इसलिए, जैसे ही गोलीबारी शुरू हुई, हमने गोली से जवाब दिया।’ इसी तरह, कांस्टेबल स्वप्ना रथ, अनीता, सुमी, मिल्कीत कौर और मंजीत कौर अपने पुरुष समकक्षों की तरह विभिन्न चौकियों पर बंदूक तानें रखी थीं और पाकिस्तानी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दे रही थीं।
मंजीत कौर ने कहा, ‘हमें बंदूक ताने रहने और जवाबी कार्रवाई करने पर गर्व है। यह हमारे लिए सम्मान की बात थी।’
भाषा जोहेब सुरेश
सुरेश