नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) को मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच हुईं उन मुठभेड़ की स्वतंत्र रूप से जांच करने का निर्देश दिया, जिनमें उचित प्रक्रिया नहीं अपनाने का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने असम पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने से संबंधित आरोपों वाली याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि हालांकि कुछ विशिष्ट मामलों का विस्तृत मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
याचिका में मई 2021 से अगस्त 2022 के बीच असम में 171 से अधिक पुलिस मुठभेड़ की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर द्वारा मुठभेड़ की जांच के संबंध में 2014 में निर्धारित अदालती दिशानिर्देशों का कथित रूप से पालन न करने के लिए चिह्नित किए गए कई मामलों में से अधिकांश तथ्यात्मक रूप से गलत प्रतीत होते हैं।
न्यायालय ने कहा कि कुछ मामलों को छोड़कर, यह निष्कर्ष निकालना कठिन है कि दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन हुआ है।
पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले को स्वतंत्र व शीघ्रता से आवश्यक जांच के लिए असम एचआरसी को सौंपते हैं। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पीड़ितों और परिवार के सदस्यों को उचित अवसर मिले।’
पीठ ने आयोग को निर्देश दिया कि वह गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए पीड़ितों के दावे स्वीकारने को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी करे।
शीर्ष न्यायालय ने फर्जी मुठभेड़ों के आरोपों की आगे की जांच शुरू करने के लिए एएचआरसी को स्वतंत्रता प्रदान की तथा असम सरकार से सहयोग करने तथा जांच प्रक्रिया में किसी भी संस्थागत बाधा को दूर करने को कहा।
न्यायालय ने असम में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों और 2014 के दिशानिर्देशों का पालन न करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर 25 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भाषा
जोहेब पवनेश
पवनेश