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Sunday, July 6, 2025

बीमार बेटे को सौंपने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से न्यायाधीश का इनकार उचित नहीं : उच्च न्यायालय

Newsबीमार बेटे को सौंपने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से न्यायाधीश का इनकार उचित नहीं : उच्च न्यायालय

मुंबई, 28 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने एक पारिवारिक अदालत के न्यायाधीश को एक व्यक्ति की उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार करने पर फटकार लगाई है जिसमें व्यक्ति ने अपने दो वर्षीय बीमार बेटे की कस्टडी अंतरिम तौर पर उसे सौंपने की अपील की थी, जिसकी ओपन हार्ट सर्जरी होनी है।

न्यायालय ने कहा कि इस तरह का आचरण एक ‘न्यायाधीश के लिए अनुचित’ है।

उच्च न्यायालय की औरंगाबाद अवकाश पीठ के न्यायमूर्ति रोहित जोशी ने मंगलवार को बच्चे की मां द्वारा सर्जरी के लिए लड़के को पिता को सौंपने की अपील का विरोध करने पर भी नाराजगी व्यक्त की।

अदालत बच्चे के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बच्चे को अंतरिम तौर पर उसे सौंपने की अपील की गई थी।

याचिका के अनुसार, बच्चे की जून के पहले सप्ताह में छत्रपति संभाजीनगर के एमजीएम अस्पताल में ‘ओपन हार्ट सर्जरी’ होनी है।

व्यक्ति ने कहा कि उसने बीड जिले के कैज स्थित संबंधित पारिवारिक अदालत में एक आवेदन दायर किया था और इस पर तत्काल सुनवाई की अपील भी की थी।

हालांकि, पारिवारिक अदालत ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति जोशी ने कहा कि ऐसे गंभीर मामले में, जहां बच्चे की ‘ओपन हार्ट सर्जरी’ होनी है, पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करना उचित नहीं समझा, ताकि यह विचार किया जा सके कि बच्चे को अंतरिम तौर पर पिता को सौंपना चाहिए या नहीं।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘न्यायाधीश (पारिवारिक न्यायालय) का आचरण किसी भी न्यायाधीश के लिए अनुचित है।’

उच्च न्यायालय ने बच्चे को अंतरिम तौर पर सौंपने के लिए पिता की याचिका का विरोध करने पर बच्चे की मां को भी फटकार लगाई।

अदालत ने कहा, ‘उस मां का आचरण भी उतना ही चौंकाने वाला है, जो अंतरिम तौर पर सौंपने की प्रार्थना का विरोध कर रही है, जबकि उसने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि बच्चे का ऑपरेशन होना जरूरी है।’

उच्च न्यायालय की पीठ ने बच्चे को अंतरिम तौर पर सौंपने के लिए पिता की याचिका को स्वीकार कर लिया तथा मां को निर्देश दिया कि वह सर्जरी के लिए बच्चे को पिता को सौंप दे।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान बच्चा पिता की देखरेख में रहेगा और आगे की चिकित्सकीय सलाह के आधार पर बच्चा मां को मिलेगा।’

भाषा

शुभम नरेश

नरेश

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